Happy Birthday Amrita: अमृता सिंह हिंदी सिनेमा या बॉलिवुड की प्रसिद्ध अदाकाराओं में जानी जाती हैं। ये 1980 के दशक के दौरान बहुत पॉपुलर हुई थीं। हिंदी सिनेमा को अमृता सिंह ने कई बेहतरीन फ़िल्में दीं। सिने प्रेमियों ने अमृता के अंदाज़ और अदा को बहुत सराहा। हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अमृता सिंह के कम फैंस नहीं है।
हिंदी सिनेमा की पॉपुलर अदाकारा अमृता सिंह का जन्म पाकिस्तान में 9 फरवरी 1958 को हुआ। उनका परिवार एक रॉयल परिवार था, सिख परिवार था। पिता सरदार सविंदर सिंह सिंह एक मिलिट्री अफसर थे वहीं उनकी मां का नाम रुख़साना सुलताना था। इतना ही नहीं अमृता सिंह प्रसिद्ध लेखक सुशवंत सिंह की भतीजी भी हैं।
अभिनेता सैफ़ अली से की शादी
वैवाहिक ज़िंदगी की बात करें तो अमृता का विवाह अपने से बहुत छोटे, छोटे नवाब यानि सैफ़ अली ख़ान से हुआ। दोनों का मिलन 1992 में एक फ़िल्म शूटिंग के दौरान हुआ। यूं तो सैफ़ अमृता से 12 साल छोटे थे और धर्म भी अलग था पर अमृता को इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। शूटिंग के बाद से दोनों की नज़दीकियां बढ़ती रहीं और साल 1991 में दोंनों लोग वैवाहिक बंधन में आ गए। ये वो समय था जब अभिनेता सैफ़ मात्र 21 साल के थे और अभिनेत्री अमृता सिंह 33 साल की।
अमृता सिंह के इस दौरान दो बच्चे हुए, सारा अली ख़ान और इब्राहिम। अभिनेत्री अमृता ने पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को सही तरह निभाने के चलते फ़िल्मी दुनिया से इस दौरान विदा ले ली। दोनों का रिश्ता एक दशक से ज़्यादा चला लेकिन 13 साल बाद दोनों के बीच तलाक़ हो गया।
एक से बढ़कर एक फ़िल्में दीं
अभिनेत्री अमृता ने हिंदी सिनेमा को बहुत-सी हिट फ़िल्में दीं। उन्होंने अपने फ़िल्मी करिअर की शुरुआत सन् 1983 में रिलीज़ हुई फ़िल्म बेताब से की। ये फ़िल्म हिट साबित हुई। दर्शकों ने अमृता सिंह की एक्टिंग को सराहा। इस फ़िल्म के बाद उनके पास अन्य फ़िल्मों के लिए ऑफ़र आने शुरु हो गए। अमृता ने पीछे मुड़कर नहीं देगा। हिंदी सिनेमा या बॉलिवुड को उन्होंने फिर मर्द, बेताब, सूर्यवंशी, अकेला, सपना, राजू बन गया जेनटलमेन, आग का दरिया, सच्चाई की ताक़त और चरणों की सौगंध जैसी अनेक फ़िल्में दीं। अभिनेता सैफ़ से शादी होने के बाद अमृता ने फ़िल्मों से ब्रेक लिया था लेकिन 2002 में आ रही फ़िल्म 23 मार्च 1931: शहीद फिल्म से दोबारा हिंदी सिनेमा में क़दम रखा। अभिनेत्री 2014 में चेतन भगत के नॉवल पर आधारित फ़िल्म 2 स्टेस्स पर भी नज़र आईं थीं।
इस तरह अमृता ने एक शानदार अभिनय के साथ हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान छोड़ी। 1980-90 के दशक में बहुत से निर्माता उनकी एक्टिंग आर्ट के चलते उन्हें अपनी फ़िल्मों में लेने को बेताब थे।