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Haryana News: हरियाणा के महिला सुरक्षा संबंधी आंकड़ों ने किया शर्मसार

न्यूज़ : केंद्र की आर्थिक सलाहकार परिषद की सामाजिक प्रगति सूचकांक (SPI) रिपोर्ट के आंकड़ों ने हरियाणा के सिलसिले में देश को शर्मसार कर दिया है। सबसे असुरक्षित राज्य घोषित हुआ हरियाणा।

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Prabha Joshi
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हरियाणा में महिला सुरक्षा को लेकर आंकड़ों ने किया शर्मसार

Haryana News: स्पोर्ट्स में टॉप में रहने वाले हरियाणा ने महिला सुरक्षा के नाम पर देश को शर्मसार कर दिया है। हरियाणा ने स्पोर्ट्स में देश को महिला और पुरुष दोनों खिलाड़ी दिए हैं फिर भी सुरक्षा संबंधी रिपोर्ट में हरियाणा को लेकर आए आंकड़ों ने सबको चौंका दिया है।

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बता दें, हरियाणा के इस समय के सीएम मनोहर लाल हैं और गृह मंत्री अनिल विज हैं। सीएम मनोहर लाल केंद्र की बीजेपी सरकार से आते हैं। मामला ये है कि केंद्र की आर्थिक सलाहकार परिषद की सामाजिक प्रगति सूचकांक (SPI) रिपोर्ट ने देशभर के सुरक्षा संबंधी आंकड़े जारी किए हैं। आंकड़ों की माने तो हरियाणा महिला सुरक्षा के नाम पर सबसे ज़्यादा असुरक्षित सामने आया।

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क्या रहे एसपीआई के आंकड़े

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इस आंकड़े ने हरियाणा सरकार और हरियाणा को शर्मसार किया है। सामाजिक प्रगति सूचकांक (SPI) रिपोर्ट की मानें तो सबसे सुरक्षित राज्य नागालैंड घोषित हुआ है। महिला अपराधों में हरियाणा में 27 फ़ीसदी अपराध इस साल पिछली रिपोर्ट के मुक़ाबले बढ़ गए। अपहरण के मामले हरियाणा में 1766 रहे जिसमें पुरुषों के अपहरण 92 हैं वहीं महिलाओं के 1674 रहे, जो बहुत संदेहजनक हैं और शर्मसार करते हैं। वहीं पुलिस में सूचना देने की स्थिति की मानें तो 1766 अपहरण से जुड़े मामलों में 207 रिपोर्ट महिलाओं ने दर्ज कराई वहीं 257 रिपोर्ट अपहरण की महिला-पुरुषों के परिजनों ने।

नहीं काम आया जनता दरबार

सरकारों को इसलिए भी चिंता है क्योंकि 2024 अब ज़्यादा दूर नहीं। 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके साथ ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होंगे। ऐसे में इस तरह की बिगड़ती स्थिति सरकार के लिए ख़तरा है। ये बात और शर्मसार करती है कि राज्य में पहले से ही राज्य के राज्यपाल अनिल बेजल लोगों की समस्याओं से रुबरू होने हर सप्ताह जनता दरबार लगाते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी ख़ुद लोगों को सुनते हैं। तब भी किसी भी तरह का कोई हल नहीं दिखा। सुरक्षा संबंधी मामले लगातार बिगड़ते नज़र आ रहे हैं। 

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बता दें हरियाणा कोई पिछड़ा राज्य नहीं है। पिछले कई सालों में उसने विकास के नाम पर कई प्रगति की हैं। ऐसे में इस तरह के आंकड़े चौकानेवाले हैं। महिला सुरक्षा के नाम पर यह आंकड़े राज्य सरकार के साथ ही केंद्र पर एक बड़ा प्रश्न छोड़ते हैं। इस तरह के आंकड़े अगर समय रहते नहीं सुधरे तो आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इसका असर दिख सकता है। बेहतर है राज्य सरकार इन आंकड़ों पर ध्यान दे।

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