Hyderabad News: हैदराबाद में एसवीएस यानि स्मार्टफ़ोन विज़न सिंड्रोम को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया। लगभग डेढ़ साल से लगातार स्मार्टफ़ोन यूज़ कर रही महिला को धीरे-धीरे आंखों में दिक्कत शुरु हो गई जो आगे चलकर बहुत गंभीर हो गई। हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर ने महिला की स्थिति को देखते हुए उसे विशेष सलाह दी। अब महिला काफ़ी स्वस्थ है।
क्या है मामला
मामला हैदराबाद का है। हैदराबाद में मंजू नामक एक महिला ने लगभग डेढ़ साल पहले अपनी नौकरी छोड़ दी, जिसके बाद वो लगातार स्मार्टफ़ोन में अपना समय देने लगी। महिला रात में रोज़ाना 02 घंटे से ज़्यादा स्मार्टफ़ोन बिना लाइट के चलाती थी। इससे उसकी आंखों को ख़तरा बढ़ता चला गया। आंखों से न दिखना, चकाचौंध, धुंधली आंखें होना, चीज़ों में केंद्रित न हो पाना और फिर धीरे-धीरे आंखों की रोशनी जाना जैसे परिणाम सामने आने लगे। महिला ने हैदराबाद के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर से तब संपर्क किया।
डॉ. सुधीर ने महिला को स्मार्टफ़ोन चलाने के लिए कुछ प्रिकॉशन बताए। डॉ. सुधीर के ट्वीट के अनुसार उन्होंने लिखा, "मैं इतिहास पर गया। ये लक्षण तब शुरू हुए जब उसने अपने इस्पेशली एबल्ड बच्चे की देखभाल के लिए ब्यूटीशियन की जॉब छोड़ दी। तब उसने अपनी नई आदत स्मार्टफ़ोन चलाना शुरू कर दी कई-कई घंटा, जिसमें रात में 02 से ज़्यादा घंटे बिना लाइट में चलाना भी शामिल था।"
जब डॉ. सुधीर ने दिए सुझाव
इन सब को देखते हुए डॉ. सुधीर ने मंजू को आंखों की देखभाल के लिए कुछ प्रीकॉशन बताए। डॉ. मंजू ने स्मार्टफ़ोन और स्क्रीन टाइम से जुड़ी सावधानियां बताई जिससे मंजू का विजन काफ़ी सुधर गया। डॉ. सुधीर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 01 महिने के रीव्यू के भीतर मंजू पूरी तरह ठीक हो गई। डॉक्टर की मानें तो जो भी 18 महिने से उसे आंखों से संबंधित परेशानी थी वो दूर हो गई। अब वो पूरी तरह स्वस्थ है, उसे किसी भी तरह की आंखों से संबंधित शिक़ायत जैसे धुंधला दिखना, बीच-बीच में अंधेरा छा जाना और चकाचौंध जैसी समस्या नहीं हैं। डॉ. सुधीर की माने तो उनका एसवीएस से जुड़ा ख़याल सही साबित हुआ।
बता दें इस तरह के स्मार्टफ़ोन, कंप्यूटर या किसी भी तरह की डिजीटल विजन से जुड़े सिंड्रोम आजकल बहुत कॉमन हो गए हैं। आफ़िस हो या घर हर कोई इससे जुड़ी समस्या से जूझ रहा है। इससे न केवल थोड़े टाइम का ख़तरा है बल्कि ये एक लंबे अंतराल तक प्रभाव छोड़ सकता हैं। ऐसे में डिजिटल डिवाइसिस के प्रयोग के लिए हमे विशेष सावधानियां बरतनी चाहिएं। स्मार्टफ़ोन, कंप्यूटर या किसी भी तरह की डिजीटल विजन सिंड्राम के बारे में ज़्यादा जागरूकता न होना भी इसका एक कारण हो सकता है।