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Computer Vision Syndrome(CVS): कंप्यूटर विजन सिंड्रोम और उसके लक्षण

हैल्थ/ ब्लॉग : आजकल कामकाजी ज़िंदगी में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम जैसी बीमारी बहुत सामने आ रही है। ये हमारी आंखों की ज़िंदगी को कम कर रही है जिससे अन्य बीमारियां पैदा हो रही हैं।

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Prabha Joshi
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कंप्यूटर विजन सिंड्रोम

कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम आजकल बहुत कॉमन समस्या हो गई है

Computer Vision Syndrome(CVS): आजकल व्यस्तता और पेशेवर ज़िंदगी के चलते हर कोई कंप्यूटर पर हर समय बैठा रहता है। ये ज़रूरी भी है। आज डाटा पर आधारित ज़िंदगी में कुछ भी करने से पहले कंप्यूटर की आवश्यकता पड़ती ही है। ऐसे में बिना कंप्यूटर के रहा भी नहीं जा सकता। अटेंडेंस से लेकर एक्जिट तक और कंपनी से जुड़ी सभी चीज़ें कम्प्यूटर से हो रही हैं। कोई भी क्षेत्र आज ऐसा नहीं रहा जहां कम्प्यूटर का इस्तेमाल न होता हो। ऐसे में ज़रूरी है कंप्यूटर से आंख को बचाना।

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हमारे पूरे शरीर में अन्य अंगों की तरह ही आंखों का रोल बहुत प्रमुख है। आंखें ही नहीं होंगी तो हम क्या देखेंगे? आंखें हमारे लिए इतनी ज़रूरी हैं कि कुछ भी उन पर होने पर हम बेचैन हो जाते है। ऐसे में आंखों का उपचार बहुत ज़रूरी है। कभी भी आंखों से खिलवाड़ न करें। छोटी हो या बड़ी समस्या किसी भी तरह की आंखों से जुड़ी समस्या में आंखों के डॉक्टर से ज़़रूर संपर्क करें। 

क्या है कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या सीवीएस  

जब हम बहुत ज़्यादा कंप्यूटर में बैठते हैं ऐसे में हमें आंखों से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। इन्हीं का नाम है कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या सीवीएस। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या सीवीएस से न केवल हमारी आंख प्रभावित होती है बल्कि पूरी दिनचर्या और शरीर के अन्य हिस्से। कंप्यूटर विजन सिंड्रोम में कंप्यूटर से निकलने वाली हानिकारक किरणें हमारे रेटिना पर क्षति पहुंचा देती हैं, जिससे हमें आंखों में दिक्कत शुरू हो जाती है।

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क्या हैं सीवीएस के लक्षण 

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से जुड़े लक्षणों में मुख्य लक्षण सिर दर्द, सिर में भारीपन, आंखों में दर्द, आंखों में लाली, आंखें दुखना, चक्कर आना, रोशनी बर्दाश्त न होना, कम दिखाई देना, बार-बार अंधेरा छाना, ड्राई आई यानि आंसू न आना, आंखें सूजना, कंधे या गर्दन में दर्द जैसे लक्षण हैं। 

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कैसे करें कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचाव  

अपनी आंखों को कम्प्यूटर स्क्रीन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम जैसी समस्या से बचाने के लिए कुछ तरीक़े हैं जिनपर काम करने से इससे बचा जा सकता है। आइए जानें :-

  • काम करने के बीच 15-20 मिनट में ब्रेक लेते रहें और कंप्यूटर में देखते समय पलक झपकाते रहें।
  • स्क्रीन को एकदम अपने सामने रखने से बचें, थोड़ा टिल्ट कर दें।
  • कंप्यूटर की ब्राइटनेस सेट करें, बहुत तेज़ ब्राइटनेस आंखों के लिए नुक़सानदायक होती है। 
  • बार-बार ठंडे पानी से आंखों को धोते रहें।
  • कंप्यूटर और अपने बीच का डिस्टेंस ज़्यादा रखें लगभग 20-26 इंच दूरी।
  • कंप्यूटर के टेक्स्ट का साईज़ बड़ा कर दें, इससे कंप्यूटर को पास से देखने से बचा जा सकेगा।
  • अपने वर्क संबंधित रूम की लाइटनिंग ठीक रखें जिससे स्क्रीन में रिफ़्लेक्शन संबंधी परेशानियां न हों।
  • खानपान का ध्यान रखें। पानी ज़्यादा पिएं।
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इस तरह आप अपनी आंखों को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से बचा सकते है। ये बहुत बार कई दिनों तक प्रभावित कर सकता है। इससे होने वाली परेशानियां आंखों की रोशनी के लिए ख़तरा बन जाती हैं।

चेतावनी : प्रदान की जा रही जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य से है। कुछ भी प्रयोग में लेने से पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श लें।

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