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15 वर्षीय छात्रा रौशनी ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 98.75 प्रतिशत हासिल किए हैं। खास बात यह है कि अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए उसने साइकिल से रोज 24 किलोमीटर का सफर तय किया। उसके गांव से स्कूल की दूरी 12 किलोमीटर है। वह चिलचिलाती गर्मी और बारिश जैसी मुश्किलों को ध्यान में ना रखते हुए रोजाना अपने स्कूल गए। ऐसे भी कई दिन थे जब बारिश के कारण वह घर वापस नहीं आ सकी क्योंकि गाँव की सड़कें पानी से भर जाती थी।
लड़की के पिता ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है और उन्होंने कहा कि वह अब स्कूल आने-जाने के लिए उसके लिए साइकिल के बजाय परिवहन की कोई अन्य सुविधा उपलब्ध कराएंगे।
रोशनी के आगे के प्लांस के बारे में पूछे जाने पर उनके पिता ने कहा कि- "बेशक मैं चाहता हूं कि वह पढ़ाई जारी रखे। मैं उसे बड़ी डिग्रियां दिलाना चाहता हूं और चाहता हूं कि वह बड़े शहरों में बड़ी कंपनियों में काम करें"।
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रोशनी ने बताया कि वो बड़े होकर आईएएस की परीक्षा देकर कलेक्टर बनना चाहती है, इसलिए शुरू से ही उसका ध्यान पढ़ाई पर रहता है। रोशनी के 36 वर्षीय पिता पुरुषोत्तम भदौरिया एक किसान हैं। उसकी मां भी 12वीं तक पढ़ी हैं। ऐसे में 2 बेटों के बीच इकलौती बेटी रोशनी को कभी भी किसी ने पढ़ाई के लिए रोका-टोका नहीं। रोशनी के पिता की माने तो , वो भी चाहते हैं कि रोशनी अच्छा पढ़-लिखकर गांव और परिवार का नाम रोशन करें।
15 वर्षीय रोशनी ने मैथ्स और साइंस सब्जेक्ट में 100 में से 100 मार्क्स हासिल किए हैं। उन्होंने बताया कि वो समाज में बदलाव लाना चाहती हैं, यही वजह है कि वो आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं। भिंड , खासकर लड़कियों के लिए बहुत पिछड़ा इलाका है। उनके पिता कहते है कि मेरे सभी बच्चे काफी अच्छे स्टुडेंट हैं। उनका पढ़ाई में काफी मन लगता है। इस इलाके में ऐसा कोई भी नहीं जिसने इतने मार्क्स हासिल किए हों।
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लड़की के पिता ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है और उन्होंने कहा कि वह अब स्कूल आने-जाने के लिए उसके लिए साइकिल के बजाय परिवहन की कोई अन्य सुविधा उपलब्ध कराएंगे।
रोशनी के आगे के प्लांस के बारे में पूछे जाने पर उनके पिता ने कहा कि- "बेशक मैं चाहता हूं कि वह पढ़ाई जारी रखे। मैं उसे बड़ी डिग्रियां दिलाना चाहता हूं और चाहता हूं कि वह बड़े शहरों में बड़ी कंपनियों में काम करें"।
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आईएएस बनना चाहती है रोशनी
रोशनी ने बताया कि वो बड़े होकर आईएएस की परीक्षा देकर कलेक्टर बनना चाहती है, इसलिए शुरू से ही उसका ध्यान पढ़ाई पर रहता है। रोशनी के 36 वर्षीय पिता पुरुषोत्तम भदौरिया एक किसान हैं। उसकी मां भी 12वीं तक पढ़ी हैं। ऐसे में 2 बेटों के बीच इकलौती बेटी रोशनी को कभी भी किसी ने पढ़ाई के लिए रोका-टोका नहीं। रोशनी के पिता की माने तो , वो भी चाहते हैं कि रोशनी अच्छा पढ़-लिखकर गांव और परिवार का नाम रोशन करें।
100 में से 100 मार्क्स
15 वर्षीय रोशनी ने मैथ्स और साइंस सब्जेक्ट में 100 में से 100 मार्क्स हासिल किए हैं। उन्होंने बताया कि वो समाज में बदलाव लाना चाहती हैं, यही वजह है कि वो आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं। भिंड , खासकर लड़कियों के लिए बहुत पिछड़ा इलाका है। उनके पिता कहते है कि मेरे सभी बच्चे काफी अच्छे स्टुडेंट हैं। उनका पढ़ाई में काफी मन लगता है। इस इलाके में ऐसा कोई भी नहीं जिसने इतने मार्क्स हासिल किए हों।
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