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सीरियस क्राइसिस' में है।
"कुछ समय से, मैं टेलीविजन से सिफ्ट होना चाहती थी क्योंकि मैं यह 20 साल से कर रही हूं। ये सफ़र बहुत अच्छा रहा है और बहुत चैलेंजिंग भी। ये ऑफर मुझे पिछले दिसंबर में आया और मुझे लगा कि यह एक शानदार अवसर है। यह कुछ ऐसा है जो जर्नलिज्म से संबंधित है, लेकिन यह थोड़ा अलग ट्रैक है। इस बिंदु पर, जब मैं NDTV में टॉप एग्जीक्यूटिव एडिटर (Executive Editor) हूं, जो देश की बेस्ट ऑर्गेनाइजेशन है। उस समय मैंने सोचा अगर मैंने अभी चांस नहीं लिया, तो मैं कभी भी कुछ नहीं कर पाऊंगी। मेरे लिए हार्वर्ड में पढ़ाना एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी है लेकिन उससे बड़ा अवसर यह है कि मैं वहां बहुत कुछ सीखुंगी खासकर हार्वर्ड जैसे माहौल में जहां मैं ग्रो सकती हूं, सीख सकती हूं।" शीदपीपल. टीवी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा.
और पढ़ें - निधि राज़दान ऍनडीटीवी छोड़ अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाएंगी जर्नलिज्म
ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो इंडियन जर्नलिज्म में काम करना चाहती है। निधि ने उनके लिए कुछ सुझाव भी दिए . "अगर आपको खबरें अच्छी लगती है, तो अपने दिल और आत्मा को उसमें डाल दें। किसी को भी वर्क-लाइफ बैलेंस पर खुद को गुमराह न करने द। ये मुमकिन है - आप ऐसा कर सकते हैं. ये आसान नहीं है पर आपको यह करना चाहिए. "
"सही ऑर्गेनाइजेशन में आए। जर्नलिस्ट बनना आसान नहीं है। इसका सामना करो, अब इतनी ज्यादा जॉब्स नहीं हैं और ना ही वे इतना अच्छा पे करते हैं। इसलिए आपको कोई भी चॉइस को बनाने से पहले सावधान रहना होगा। हमें ऐसे लोग चाहिए जो idealistic हों।", उन्होंने कहा
और पढ़ें - सुपरकार रेसर रेनी ग्रेसी ने जॉइन की एडल्ट फ़िल्म इंडस्ट्री
"कुछ समय से, मैं टेलीविजन से सिफ्ट होना चाहती थी क्योंकि मैं यह 20 साल से कर रही हूं। ये सफ़र बहुत अच्छा रहा है और बहुत चैलेंजिंग भी। ये ऑफर मुझे पिछले दिसंबर में आया और मुझे लगा कि यह एक शानदार अवसर है। यह कुछ ऐसा है जो जर्नलिज्म से संबंधित है, लेकिन यह थोड़ा अलग ट्रैक है। इस बिंदु पर, जब मैं NDTV में टॉप एग्जीक्यूटिव एडिटर (Executive Editor) हूं, जो देश की बेस्ट ऑर्गेनाइजेशन है। उस समय मैंने सोचा अगर मैंने अभी चांस नहीं लिया, तो मैं कभी भी कुछ नहीं कर पाऊंगी। मेरे लिए हार्वर्ड में पढ़ाना एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी है लेकिन उससे बड़ा अवसर यह है कि मैं वहां बहुत कुछ सीखुंगी खासकर हार्वर्ड जैसे माहौल में जहां मैं ग्रो सकती हूं, सीख सकती हूं।" शीदपीपल. टीवी के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा.
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ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो इंडियन जर्नलिज्म में काम करना चाहती है। निधि ने उनके लिए कुछ सुझाव भी दिए . "अगर आपको खबरें अच्छी लगती है, तो अपने दिल और आत्मा को उसमें डाल दें। किसी को भी वर्क-लाइफ बैलेंस पर खुद को गुमराह न करने द। ये मुमकिन है - आप ऐसा कर सकते हैं. ये आसान नहीं है पर आपको यह करना चाहिए. "
मेरे लिए हार्वर्ड में पढ़ाना एक बहुत बड़ी अपॉर्चुनिटी है लेकिन उससे बड़ा अवसर यह है कि मैं वहां बहुत कुछ सीखुंगी खासकर हार्वर्ड जैसे माहौल में जहां मैं ग्रो सकती हूं, सीख सकती हूं। - निधि राज़दान
"सही ऑर्गेनाइजेशन में आए। जर्नलिस्ट बनना आसान नहीं है। इसका सामना करो, अब इतनी ज्यादा जॉब्स नहीं हैं और ना ही वे इतना अच्छा पे करते हैं। इसलिए आपको कोई भी चॉइस को बनाने से पहले सावधान रहना होगा। हमें ऐसे लोग चाहिए जो idealistic हों।", उन्होंने कहा
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