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The Unacceptable Reality of Dowry: इस बात में कोई शक नहीं है कि दहेज जैसी कुप्रथा पूरी तरह हमारे समाज में से खत्म नहीं हुई है। आज भी ऐसे मामले सुनने को मिलते हैं जहां पर किसी महिला की हत्या की वजह दहेज की मांग होती है। भारतीय कानून में दहेज लेना और देना दोनों ही अपराध हैं लेकिन यह कुप्रथा अभी भी कायम है। राजस्थान के धौलपुर जिले के एक गांव से ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पर दहेज की वजह से बहू को भूसे में जलाकर मार दिया गया। यह घटना दिल दहला देने वाली है और महिलाओं के प्रति समाज के नजरिए पर भी सवाल उठाती है कि कब तक महिलाएं इस तरह तेरे दहेज की बलि चढेंगी। चलिए पूरी घटना के बारे में जानते हैं
दहेज की मांग के चलते बहू को मारकर जलाया, कब रुकेगी यह कुप्रथा
यह मामला नुनहेरा गांव का है जहां पर ससुराल वालों की तरफ से बहु को भूसे में जलाकर मार दिया गया। यह गांव सैंपऊ क्षेत्र में आता है। अब इस मामले में ससुराल वाले फरार हो चुके हैं। इस घटना को बहुत ही चुपचाप तरीके से अंजाम दिया गया है। मृतका का नाम नीरज है। उसकी शादी कमल किशोर के साथ हुई। शादी को 5 साल हो चुके हैं। दहेज के चलते लड़की की मारपीट भी की जाती थी। नीरज और उसकी बहन की शादी एक ही घर में हुई थी
विवाहिता के पिता का ब्यान
दैनिक भास्कर के अनुसार लड़की के पिता ने बताया कि गुरुवार को छोटी बेटी नीरज का फोन आया कि आज ससुराल वाले उसे जान से मार देंगे। जब पियर पक्ष के लोग लड़की के ससुराल पहुंचे तो भूसे में उसका शव जला हुआ मिला। नीरज की बड़ी बहन प्रीति का कहना है कि सुसराल वाले उसकी मारपीट भी करते थे और ससुराल के लोग छोटी बहन की हत्या करने के बाद, उसे मारने आए थे लेकिन उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया था।
क्या दहेज शादी की कीमत है?
यह दिल दहला देने वाली घटना है जिससे यह पता चलता है कि कैसे आज भी यह समाज पुरुष प्रधान है जिसमें महिला की मारपीट करना, उसे दहेज के लिए परेशान करना और हत्या करना भी कितना आसान है। ऐसे लोगों के मन में कानून के लिए डर नहीं है। यह एक बड़ा प्रश्न उठता है कि क्यों आज भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करना इतना आसान है।
आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात करते हैं या फिर यह भी कहते हैं कि महिलाओं के लिए अब समय बदल गया है और दहेज या फिर घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं खत्म हो चुकी हैं। लेकिन जब ऐसे मामले सामने आते हैं तो समाज के ऊपर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाता है और यह सवाल पूछने पर मजबूर कर देता है कि क्या सच में महिलाओं की तरक्की हो गई है या फिर उन्हें पूरी तरह से आजादी मिल गई है?
दहेज प्रथा सामाजिक कलंक होनी चाहिए
दहेज प्रथा को सामाजिक कलंक घोषित कर देना चाहिए। इसके लिए लोगों को दहेज के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है। यह भी समझना बहुत जरूरी है कि दहेज देना भी ऐसी कुप्रथा को बढ़ावा देने के सामान्य ही है। आपको वहां पर अपनी बेटी की शादी करने की कोई जरूरत नहीं है जहां पर दहेज मांगा जाता है। आजकल दहेज को 'गिफ्ट' का नाम दे दिया गया है लेकिन यह उसका बदला हुआ स्वरूप है। अगर हम इसे जमीनी स्तर पर खत्म करना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें अपनी सोच का विकास करना होगा। ऐसा नहीं है कि शहरी क्षेत्र में या फिर पढ़े-लिखे लोगों में ऐसी घटनाएं नहीं होती हैं बल्कि इसका स्वरूप बदल गया है। सबसे जरूरी जागरूकता फैलाना है।