एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव ने 36 साल की सेवा के बाद लिया रिटायरमेंट, रचा कई बार इतिहास

सुरेखा यादव रेलवे उद्योग में एक मिसाल हैं। वर्ष 1988 में वे एशिया की पहली महिला लोको पायलट बनीं। वर्ष 2021 में उन्होंने एक और इतिहास रचा, जब वे वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन की पहली महिला लोको पायलट बनीं।

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Rajveer Kaur
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Loco Pilot Surekha Yadav

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सुरेखा यादव एक ऐसी प्रेरणादायक महिला हैं जिन्होंने एशिया की पहली महिला लोको पायलट बनकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया। अब भारतीय रेल से सेवानिवृत्त होते हुए, उन्होंने अपने 36 साल के करियर में कई उपलब्धियों के ज़रिए महिलाओं के लिए नए रास्ते खोले और हर उस दीवार को तोड़ा जिसे असंभव माना जाता था। वर्ष 2021 में उन्होंने एक और उपलब्धि हासिल की जब वे वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन चलाने वाली पहली महिला बनीं।

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एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव ने 36 साल की सेवा के बाद लिया रिटायरमेंट, रचा कई बार इतिहास

यह ऐतिहासिक उपलब्धि तब घोषित की गई जब सेंट्रल रेलवे ने जानकारी दी कि सुरेखा यादव ने सफलतापूर्वक सोलापुर स्टेशन से मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) तक ट्रेन का संचालन किया।

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उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने 30 सितंबर को सेवानिवृत्ति से पहले सुरेखा यादव को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संदेश में सुरेखा यादव की अद्भुत उपलब्धियों और उनके प्रेरणादायक योगदान को भी सराहा।

“पायनियर बनने पर बधाई, सुरेखा जी। जनता की सेवा में इतने लंबे करियर के बाद आपकी सेवानिवृत्ति पर मेरी शुभकामनाएं,” आनंद महिंद्रा ने लिखा।

उन्होंने आगे कहा, “आप जैसे प्रेरणादायक बदलाव लाने वाले लोगों को सलाम, आपके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।”

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कौन हैं सुरेखा यादव?

महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्र सतारा की रहने वाली सुरेखा यादव का करियर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान और उपलब्धियों से भरा रहा है। 1988 में एशिया की पहली महिला लोको पायलट बनने के बाद उन्होंने वर्ष 2000 में एक और उपलब्धि हासिल की और सेंट्रल रेलवे की ‘लेडीज़ स्पेशल’ ट्रेन की पहली महिला चालक बनीं।

सुरेखा यादव ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से पुणे तक पश्चिमी घाटों के बीच से गुजरने वाली प्रतिष्ठित डेक्कन क्वीन ट्रेन को भी सफलतापूर्वक संचालित किया, और इस ट्रेन को चलाने वाली पहली महिला बनीं।

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वर्ष 2021 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुंबई-लखनऊ स्पेशल ट्रेन को पूरी महिला क्रू के साथ चलाकर एक और इतिहास रचा।

यादव ने असिस्टेंट लोको पायलट सायली सावर्डेकर के साथ मिलकर डेक्कन क्वीन का संचालन किया, जिससे उनकी नेतृत्व क्षमता और एक सक्षम लोको पायलट के रूप में विशेषज्ञता झलकती है।

सुरेखा यादव की अद्भुत यात्रा रेलवे उद्योग और उससे परे उत्साही महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी समर्पण, पेशेवराना रवैया और अग्रणी भावना उस असीम संभावनाओं का उदाहरण है जो महिलाओं में पारंपरिक पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में होती हैं। जैसे-जैसे वे बाधाओं को तोड़ती और इतिहास रचती रहती हैं, यादव की विरासत निश्चित रूप से भारत की रेलवे दुनिया पर अमिट छाछोड़ेगी।

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