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क्रिस्टल बयात कौन है ? तालिबान के राज के बाद वहा से जान बचा के भागते हुए लोग उनके दर्द की गवाही दे रहे है। क्या बच्चा क्या बूढ़ा और क्या महिला ,तालिबान किसी के लिए अपने नियम में ढिलाई नहीं करता। हालांकि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा इतने दबाव के बाद भी वह की कुछ महिलाये हिम्मत जुटा के अपने हक़ की आवाज़ उठा रही है , छोटे लेवल पर ही सही लेकिन वह विरोध प्रदर्शन कर रही है।
आपको बता दे कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम कॉलेज से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट 24 वर्षीय महिला क्रिस्टल बयात (Crystal Bayat) अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ महिलाओं के विरोध का तेजी से चेहरा बन रही है। दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने अफगानिस्तान में महिलाओं के हक़ के लिए उठाई आवाज़।
क्रिस्टल बयात कौन है ? जानिये अफगानिस्तान में महिलाओं के विरोध प्रदर्शन की शुरुवात करने वाली इस DU स्टूडेंट के बारे में
- क्रिस्टल बयात ने 2017 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की थी और बाद में दिल्ली में United Nations Institute से मास्टर डिग्री हासिल की थी।
- बयात ने अफगान महिलाओं को संगठित होने के लिए प्रोत्साहित करने में, और उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग करने के लिएआगे बढ़ने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।
- बयात मूल रूप से काबुल की निवासी है, बयात के माता-पिता पढ़े लिखे हैं। उनकी माँ एक डॉक्टर है और उसके पिता अफगानिस्तान सरकार के साथ काम करते हैं।
- तालिबान के सत्ता में आने के दो दिन बाद, 17 अगस्त को चार महिलाओं ने काबुल के वाजी अकबर खान इलाके में तख्तियां लेकर विरोध करने के लिए काबुल की सड़कों पर उतर आए। अगले दिन एक और विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें कुछ और महिलाएं भी शामिल हुईं।
- काबुल के अफगानिस्तान पर कब्ज़े के बाद से महिला द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेज़ी से वायरल हो रहे है।
- मीडिया से बात करते हुए, बयात ने कहा कि वह महिलाओं को संगठित करने और प्रोत्साहित करने के लिए व्हाट्सएप का उपयोग कर रही थी। हालांकि, उनके इतने प्रयासों के बावजूद, विरोध के लिए केवल सात महिलाएं ही आईं, जिसमें 1,000 से अधिक पुरुष थे।
- उन्होंने पहला विरोध प्रदर्शन 17 अगस्त को किया था, जिसमें चार महिलाओं ने काबुल की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया था।
- दूसरे विरोध प्रदर्शन में सात महिलाओं ने 18 अगस्त को शहर के वाजी अकबर खान पड़ोस में उनका समर्थन किया। इन दोनों विरोधों में, बयात ने कहा, प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में अफगान झंडे का इस्तेमाल किया गया था।
- बयात ने यह भी बताया कि वह अपने जीवन में पहली बार तालिबान के साथ आमने-सामने आई थीं, जब वह विरोध कर रही थीं। उन्होंने प्रदर्शन पर तालिबानी को 'घर वापस जाने' के लिए कहा।
- यही नहीं यहाँ तक की उन्होंने बड़ी ही बेबाकी से 'जिंदाबाद अफगानिस्तान' के नारे लगाने का फैसला किया। बयात ने कहा कि वह अफगानिस्तान की लाखों महिलाओं के लिए आवाज उठाना जारी रखेंगी।
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