Why Are Schools In Kochi Adopting Emoticon-Based Grading System? कोच्चि के कई स्कूलों में अब नर्सरी से कक्षा 2 तक के छात्रों का मूल्यांकन पारंपरिक अंकों और प्रतिशत के बजाय इमोजी आधारित ग्रेडिंग सिस्टम से किया जा रहा है। यह नई प्रणाली बच्चों की समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करती है और रट्टा मार पढ़ाई की बजाय कौशल विकास को प्राथमिकता देती है।
कोच्चि में स्कूल क्यों अपना रहे हैं इमोजी-आधारित ग्रेडिंग सिस्टम?
नई शिक्षा नीति 2020 का प्रभाव
नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत छात्रों के लिए 'समग्र रिपोर्ट कार्ड' की अवधारणा पेश की गई है। इस नीति का उद्देश्य छात्रों का मूल्यांकन पारंपरिक परीक्षा आधारित अंकों के अलावा गतिविधियों के माध्यम से करना है। कोच्चि के सीबीएसई स्कूल इस मॉडल को अपनाने में अग्रणी हैं।
🚨 CBSE schools in Kochi are replacing traditional marks and grades with emojis and stars for students up to Class II. pic.twitter.com/mHVaOWFVc2
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) November 18, 2024
समग्र विकास पर जोर
इस नई ग्रेडिंग प्रणाली में बच्चों के मोटर और विकासात्मक कौशल जैसे संवाद क्षमता, सहपाठियों के साथ बातचीत, सक्रिय सीखने और समग्र विकास पर जोर दिया जा रहा है।
परीक्षा के बजाय गतिविधियां: बच्चों का मूल्यांकन पहेलियों, क्विज़, कौशल विकास कार्यों और समूह प्रोजेक्ट्स के माध्यम से किया जा रहा है।
दबाव में कमी: यह मॉडल बच्चों पर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव कम करने में मदद कर सकता है, जिससे बच्चे उत्सुकता से सीखने की आदत विकसित कर सकते हैं।
स्व-मूल्यांकन का विकास: इस प्रणाली के तहत बच्चे अपनी गलतियों का खुद मूल्यांकन करना और उन पर काम करना सीख सकते हैं।
इमोजी ग्रेडिंग का महत्व
1980 के दशक में इमोजी का आविष्कार भावनाओं और विचारों को रचनात्मक तरीके से व्यक्त करने के लिए किया गया था। आज ये बच्चों की शैक्षणिक यात्रा को रोचक और सहज बनाने के लिए रिपोर्ट कार्ड्स में शामिल किए जा रहे हैं।
मस्ती और सीखने का मेल: इमोजी बच्चों को उनके प्रदर्शन को समझने और संवाद करने का एक सरल और मज़ेदार तरीका प्रदान करते हैं।
प्रैक्टिकल लर्निंग: स्कूल अब बच्चों में व्यावहारिक शिक्षा, असफलता से उबरने की क्षमता और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।
क्या यह मॉडल सफल होगा?
कोच्चि के स्कूलों द्वारा अपनाया गया यह इमोजी आधारित ग्रेडिंग सिस्टम बच्चों को समग्र रूप से विकसित करने के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। यह प्रणाली भविष्य में ऐसे व्यक्तित्व तैयार कर सकती है जो अनुभवों को महत्व देते हैं, कठिनाइयों से सीखते हैं और लगातार आत्म-सुधार की ओर अग्रसर रहते हैं।