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पंजाब के एक सरकारी स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक, एक छात्र: क्या होगा इस अनोखे स्कूल का भविष्य?

पंजाब के बठिंडा जिले के कोठे बुध सिंह गांव के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक और एक छात्र है। ये अनोखी स्थिति कई सवाल खड़े करती है। आइए जानते हैं इस स्कूल की कहानी और इसके भविष्य के बारे में क्या संभावनाएं हैं।

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Vaishali Garg
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One Teacher, One Student

One Teacher, One Student: What Lies Ahead for This Unique Punjab School? पंजाब के बठिंडा जिले के कोठे बुध सिंह गांव के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक और एक छात्र है। ये अनोखी स्थिति कई सवाल खड़े करती है। आइए जानते हैं इस स्कूल की कहानी और इसके भविष्य के बारे में क्या संभावनाएं हैं।

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पंजाब के एक सरकारी स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक, एक छात्र: क्या होगा इस अनोखे स्कूल का भविष्य?

एक शिक्षक, एक छात्र का अनोखा स्कूल

2023 में सरबजीत कौर इस स्कूल में शिक्षक के रूप में शामिल हुईं। मगर, यहां उन्हें सिर्फ एक छात्र पढ़ाना पड़ा। ये छात्र पांचवीं कक्षा में पढ़ता है और अगले महीने परीक्षा देगा। 

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खाली कक्षाओं की वजह

स्कूल के अन्य बच्चों के निजी स्कूलों में पढ़ने के कारण सरकारी स्कूल में कक्षाएं खाली रहती हैं। शिक्षक और शिक्षा विभाग लगातार अभिभावकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। मगर, उनकी कोशिशें अभी तक सफल नहीं हुई हैं।

शिक्षक की कोशिशें

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अपने प्रयासों में, सरबजीत कौर ने गांव में घर-घर जाकर अभिभावकों को समझाया कि सरकारी स्कूल कम नहीं है। यहां सभी सुविधाएं मौजूद हैं। इसके बावजूद, ग्रामीण अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजना बेहतर समझते हैं।

क्या बंद हो जाएगा स्कूल?

बठिंडा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले कुछ छात्र स्कूल आया करते थे, लेकिन पिछले एक साल से केवल एक छात्र पढ़ रहा है। चूंकि स्कूल खाली रहता है, इसलिए अधिकारी ने कहा कि इसे बंद करके कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है।

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अधिकारी का बयान

मीडिया से बात करते हुए, अधिकारी ने कहा, "सरकार के दिशा-निर्देशों के बाद, इस स्कूल को बाद में बंद करके किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है। सरकार एक बच्चे को शिक्षित करने के लिए बहुत पैसा खर्च कर रही है। चूंकि यह एक प्राथमिक स्कूल है, इसलिए यह बच्चा इस स्कूल में केवल लगभग 1 महीने तक ही पढ़ेगा।"

अधिकारी ने आगे कहा कि एक महीने के बाद पढ़ाने के लिए कोई छात्र नहीं होगा। इसलिए स्कूल को खुला रखने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, "बठिंडा शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही एक पूरी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी।"

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सोचनीय पहलू

यह अनोखा मामला शिक्षा व्यवस्था में मौजूद असमानताओं और सरकारी स्कूलों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है। इस स्कूल के भविष्य के बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन यह जरूरी है कि शिक्षा की पहुंच सभी तक समान रूप से हो और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो।

आपको क्या लगता है, इस स्कूल का भविष्य क्या होगा? क्या ऐसी स्थिति को सुधारने के लिए कोई उपाय किए जा सकते हैं? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।

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