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Relationships And Dating: क्या आपका रिलेशनशिप है सिचुएशनशिप?

रिलेशनशिप | ओपिनियन: जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है रिश्तों के मायनों के साथ उनके नाम भी बदल रहे हैंI अब बात केवल रिलेशनशिप तक ही सीमित नहीं रही बल्कि इसके भी कई प्रकार आ चुके हैं जैसे कि सिचुएशनशिपI कहीं आपका रिलेशनशिप, सिचुएशनशिप तो नहीं?

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Sukanya Chanda
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Are You In A Situationship? (image credit- Pinterest, Freepik)

Are You In A Situationship?: एक रिश्ता तभी संपूर्ण होता है जब उसमें प्यार हो, भावनाएं हो और लगाव हो, जहां प्यार नहीं केवल आकर्षण हो वह रिश्ता नहीं केवल मन को लुभाने का एक माध्यम है जिसे कहते हैं हम 'सिचुएशनशिपI' सिचुएशनशिप वह शब्द है जहां दोनों एक दूसरे के साथ तो है लेकिन साथ निभाने का वादा नहीं, जो उम्र भर के आधार पर नहीं बल्कि सिचुएशन के आधार पर निभाई जाती है लेकिन यह भी है कि जैसे समय बदल रहा है लोगों की परिस्थितियां भी बदल रही है और लोगों की सोच भीI इस तरह रिश्तों की मान्यताएं भी बदल रही हैI आज के युग में जहां लोगों को एक दूसरे से कम्युनिकेट करने में मुश्किल होती है, जहां लोग कमिटमेंट करने से डरते हैं वहां हम सिचुएशनशिप से ही काम चला लेते हैं कि "भई रिलेशनशिप में तो है और नहीं भी और कहीं ना कहीं 'प्यार क्या होता है?' वह हमारे लिए एक प्रश्न चिन्ह बनकर रह जाता हैI"

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क्या 'सिचुएशनशिप' है गलत?

जैसे ज़माना बदल रहा है वैसे- वैसे हालत भी बदल रहे हैंI यदि कोई रिलेशनशिप में पूरी तरह से कमिटेड न होकर केवल अपना दिल बहलाना चाहता हो और यह फैसला दोनों तरफ से मान्य हो तो यह उनका निजी विषय हैंI साथ ही में हम अपने दूसरे विकल्पों को भी एक्सप्लोर कर सकते हैंI यदि हम जीवन के ऐसे मोड़ पर है जहां हम अभी प्यार और उनसे जुड़े दायित्वों का पालन नहीं करना चाहते तो सिचुएशनशिप से हर्ज़ क्या? जबकि रिलेशनशिप किसी हालात से नहीं बदलती बल्कि हर हालत का सामना करती है, एक साथ रहकरI सिचुएशनशिप में आपको भावनाओं के स्तर पर कितना सहारा मिलेगा यह कहना मुश्किल है लेकिन रिलेशनशिप में आपका पार्टनर आपकी हर अच्छे- बुरे वक्त में आपके साथ खड़ा रहेगाI यदि रिलेशनशिप टूट जाए तो वह आपको काफी तनाव दे सकती है लेकिन सिचुएशनशिप में जो रिश्ता था ही नहीं उसका टूटना आप पर उतना असर नहीं करेगीI

कैसे असर कर सकती है सिचुएशनशिप हम पर?

रिलेशनशिप से जितना आपको इमोशनल सपोर्ट मिलता है उतना ही आपको इसमें अपना वक्त भी इन्वेस्ट करना पड़ता हैI यदि आप यह करने के लिए तैयार ना हो तो आप सिचुएशनशिप की तरफ रुख मोड़ सकते है लेकिन यदि आप इमोशनली सशक्त ना हो तो ऐसा ना करना बेहतर हैI यह ज़रूर याद रखिएगा कि सिचुएशनशिप में वफादारी की कोई गुंजाइश नहीं होतीI आज आपका पार्टनर आपके साथ है तो कल वह शायद किसी और के साथ भी दिख सकता हैI यह संबंध ज्यादातर शारीरिक होता है लेकिन यदि आप अपने पार्टनर के साथ इमोशनली जुड़ जाए तो बाद में यह बात आपको ठेस पहुंचा सकती है कि वह इंसान आपकी तरफ पूरी तरह से समर्पित नहीं है जिससे आपका मानसिक तनाव और भी बढ़ सकता है और आप और भी केलापन महसूस कर सकते हैंI 

यदि आप कमिट करने के लिए तैयार ना हो तो ज़रूरी नहीं कि आपको किसी का साथ चाहिएI ऐसा नहीं कि यह अनिवार्य हैI यदि आप खुद को जाने और खुद से प्यार करें तब आप असल में अंदर से खुश होंगे और आपको समझ में आएगा कि आपको क्या चाहिए और क्या नहीं इसलिए अपने सेल्फ-वर्थ को पहचाने और सेल्फ-लव करेंI

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