Farming For Women: भारत में महिलाओं के लिए किसानी की चुनौतियाँ और अवसर

भारत में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के नाम पर ज्यादा जमीने हैं। बात खेती-बाड़ी की करें तो भारत में 58 % लोगों की रोजी-रोटी किसानी से चलती हैं। अब चाहे वो किसान खुद के जमीन पर फसल उगाए या दूसरें की, वो मेहनत और लगन से अपना काम करता है।

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Khushi Jaiswal
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भारत में महिलाओं के लिए खेती की चुनौतियाँ और अवसर

(image credit : sociomentors)

Farming for women : भारत में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के नाम पर ज्यादा जमीने हैं। बात खेती-बाड़ी की करें तो भारत में 58 % लोगों की रोजी-रोटी किसानी से चलती हैं। अब चाहे वो किसान खुद के जमीन पर फसल उगाए या दूसरें की, वो मेहनत और लगन से अपना काम करता है। बीते दिनों फिर एक बार किसानों ने अपने हक़ के लिए दिल्ली बॉर्डर पर धरना किया था। ये सभी स्तिथिया बताती हैं, की देश में एक किसान का क्या हाल है। वही अगर हम एक महिला की बात करें तो शुरुवात से लेकर अब तक महिलाओं ने घर के पुरुषों के साथ खेती - बाड़ी में अपना बहुमूल्य सहयोग दिया हैं। चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की एक महिला को किसानी में क्या मुश्किलें सहनी पड़ती है और उनके लिए कौनसे नए अवसर खेती - बाड़ी खोलता हैं। 

किसानी में महिलाओं के लिए अवसर

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हम महिलाओं के लिए अवसर के बारे में बात करें उससे पहले आपको बता दू, की भारत में 6 करोड़ से ज्यादा महिलाएं किसानी से जुड़ी हैं। जिससे ये साफ़ है, की एक महिला भी हर फिल्ड की तरह किसानी में भी अपना अधिक योगदान देती है। 

1. समानता और महिला सशक्तिकरण

खेतों में जब महिलाएं काम करती हैं, तो वो एक नया बदलाव लाती है। किसानी में महिला किसी पुरुष से पिछें नहीं, बल्कि उनके कंधो से कंधा मिलाकर चलती है। भारत के बाहर कई अफ़्रीकी देशों में खेती करके महिलाएं अकेले अपना घर चलाती हैं। भारत में ग्रामीण इलाकों में किसानी से महिला सशक्तिकरण अधिक देखा गया है। 

2. लीडरशिप 

जब एक महिला घर चलाने के साथ कमाती भी है, तो उसे देखकर आने वाली पीड़ी भी मोटीवेट होती है। कई किसान महिलाएं अपने खुद के दम पर किसानी से अच्छी आमदनी कमा कर अपना घर भी चलाती है और इससे महिला में एक  लीडरशिप क्वालिटी आती हैं और जेंडर गैप कम होता है।  

3. महिलाओं के नाम पर जमीन 

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जब एक महिला के नाम पर जमीन होगा, तो उसे इस पितृसत्ता समाज में दबाने वाले लोगों से लड़ने में आसानी होगी और देश के इकनोमी में सहयोग करने में जो जेंडर गैप दिखता है, उसमें भी महिलाओं का सहयोग ग्राफ ऊपर उठेगा। साथ ही अगर एक महिला के नाम पर जमीन है, तो एक सिक्यूरिटी बनी रहती है और वो महिला अपने हिसाब से उचित डिसिशन ले सकती है। 

खेती-बाड़ी में महिलाओं के लिए उत्पन होने वाले चुनौतियाँ

1. फाइनेंस और टेक्नोलॉजी 

अक्सर जो महिलाएं खेती करती हैं, उनकी सबसे बढ़ी दुविधा होती है फाइनेंस और टेक्नोलॉजी। इससे डील करने के लिए हम महिलाओं को नए - नए टेक्नोलॉजी से जागरूक करा सकते हैं। जिससे उनको किसी दुविधा का सामना न करना पड़े और बैंक्स या सरकार अगर एक महिला को लोन देने के लिए कोई बढ़िया स्कीम लाए तो इससे भी मदद मिल सकती है।  

2. मार्किट 

जब एक महिला अपना धान बाजार में बेचने जाती है, तो कई बार महिला होने के कारण उनको सही रूपए नहीं दिए जाते। साथ ही उन्हें मार्किट के बारें में ज्यादा ज्ञान न होने के कारण उनको लॉस का सामना करना पड़ता हैं, जोकि एक महिला को किसानी करने से रोकती है।  

3. हिंसा

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महिला होने के नाते उन्हें कई बार वायलेंस का सामना करना पड़ता है, जोकि कई महिलाओं का मनोबल तोड़ देती हैं और आखिर में एक महिला किसानी छोड़ने पर मजबूर होजाती है।  

आखिर में, अगर देश में जेंडर इक्वलिटी लाना है, तो माटी सिचने से लेकर राजनीती में महिलाओं की हिस्सेदारी जरुरी हैं। इसलिए हम हर जगह की महिला वो चाहें गाव की हो या शहर की पढ़ी-लिखी हो या नहीं उन्हें साक्षत बनाने के लिए नई राहें बनानी होंगी। उनको नए अवसर देने होंगे। साथ ही देश में बैठे मंत्रियों को ऐसा कानून लाना होगा जोकि हर महिला को आगे बढ़ाने में मदद करें।  

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