Where is Women Stand In Leadership: आज की महिला किसी से भी कम नहीं है। आप हर जगह देखिए महिलाएं हर क्षेत्र, जैसे डॉक्टर, इंजीनियरिंग, जर्नलिज्म, एयरोस्पेस, सरकारी नौकरियां और यूपीएससी। हर जगह आज औरत मर्द के साथ कंधा मिलाकर चल रही है। यह सकारात्मक नजरिया औरतों को लीडरशिप की ओर लेकर जा रहा है। आप अपने आसपास ऐसी महिलाएं देख सकते हैं जिन्होंने छोटे से घर से बिजनेस स्टार्ट किया और आज अपने साथ हजारों महिलाओं को सशक्त कर रही हैं। इस तरह महिलाएं फाइनेंशियली इंडिपेंडेंस होने के साथ-साथ दूसरी महिलाओं को भी आर्थिक रूप से आजाद कर रही है।
Leadership में महिलाएं अभी कहां तक पहुंची है
इसके साथ यह भी चांस है कि महिलाएं अपने साथ होने वाले अत्याचारों के प्रति भी बहुत ज्यादा अवेयर होंगी क्योंकि जब महिला घर से बाहर निकलती है, उसके व्यवहार में बहुत सारे बदलाव आते हैं। वे डरती नहीं और हर मुसीबत का सामना करना जान जाती है। उसे पता लग जाता है कि कैसे किस स्थिति में अपने आप को बचा कर रखना है।
स्टीरियोटाइप को तोडना
महिलाओं के बारे में बहुत सारी स्टीरियोटाइप हैं जैसे महिलाएं अच्छी लीडर नहीं हो सकती या फिर एक औरत सिर्फ घर संभाल सकती है। लेकिन आज की औरत इन सब स्टीरियोटाइप्स को तोड़कर आगे बढ़ रही है। आज की महिला दोनों चीजों को संभाल रही है। आज की माँ सीईओ भी है और हाउसवाइफ भी है। इसमें भी एक प्रॉब्लम है, आज की महिला के पास यह ऑप्शन तो है कि वह करियर में आगे बढ़ तो सकती है पर एक कंडीशन है कि उसे साथ में परिवार और घर को भी देखना है। उसकी चॉइस को कोई नहीं पूछता। इसे बदलने की हमें जरुरत है।
मेल डोमिनेन्स अभी भी मौजूद
यह अच्छी बात है लीडरशिप में महिलाएं अपनी जगह बना रही है लेकिन इस रास्ते इसमें मर्द प्रधानता में एक बहुत बाधा है। एक महिला जब किसी पोजीशन पर पहुँचती है तब उसके पीछे उसका संघर्ष होता है। यह संघर्ष समाज के साथ और सोच के साथ होता है जो सोचती है कि महिलाओं को सिर्फ घर पर ही रहना चाहिए अगर महिला घर से बाहर निकल रही है तब भी उसे एक कायदे में रहना चाहिए जो समाज के द्वारा उसके लिए बनाए गए हैं। अगर कोई महिला किसी उच्च पद पर बैठी है उसके बारे में तरह-तरह की बातें बनाई जाती है, कहा जाता है इसका बॉस के कोई कनेक्शन होगा तभी यह बैठी है। औरत की काबिलियत को पहचानने की कोई कोशिश नहीं करता। हर तरह से औरत को सेक्सुअलाइज किया जाता है।
दूर की कौड़ी
ज्यादातर महिलाओं के लिए "महिला लीडरशिप" में अभी रास्ता लंबा है। इसमें बहुत सारी खामियां भी है। अगर आप देखें कि अगर किसी गांव में एक महिला सरपंच बनती है तो उसके पीछे कमान उसका पति संभाल रहा होता है। इन सारी कमियों को दूर करने की जरूरत है। महिलाओं को अपने प्रति स्टैंड लेने की जरूरत है और जो भी उन्हें मुसीबतें आ रही है उनका सामना करने की जरूरत है। अभी रास्ता लंबा और मुश्किल लग रहा है लेकिन नामुमकिन नहीं है जिस रफ्तार से महिला आगे बढ़ रही है जल्द ही इन चीजों पर भी काबू पा लेगी।