Difference In Daughter And Daughter In Law: हमारे समाज में आज भी बहू और बेटी में बहुत फर्क रखा जाता है। लोग अपनी बेटी के लिए तो अच्छा पति, अच्छा ससुराल चाहते ही हैं, लेकिन बहू को तो कई घरों में ग़ुलाम की तरह रखा जाता है। जहां बेटी पर ख़ास कोई रोक टोक नहीं होती, वहाँ बहू के उठने, बैठने, चलने पर भी कंट्रोल रखा जाता है। आइये जानते हैं कि हमारे समाज में आज भी क्यों है बहू और बेटियां में फ़र्क़।
क्यों है आज भी बहु-बेटी में फर्क
1. यह अपनी नहीं, पराई है
बहू को हमेशा ससुराल में बेगानी या पराई ही माना जाता है। वह लड़की जो अपना घर-परिवार, अपना सारा समान छोड़ कर ससुराल को अपना समझ कर आती है उसे कई साल पूरी तरह से अपनाया ही नहीं जाता। उसके बच्चों को अपने समझ लिया जाता है लेकिन वो कभी अपनी बन ही नहीं पाती।
2. सिर चढ़ कर बोलेगी
घर की बहू से कुछ ससुराल वाले कभी प्यार से बात भी नहीं करते क्योंकि उन्हें यह वहम होता है कि ऐसा करने से बहुएँ सिर चढ़ जातीं हैं। वे कितना भी अच्छा काम करें, दिन से रात तक घर सम्भालें, पति बच्चे बूढ़े सब का ध्यान रखें, लेकिन उसका ध्यान कोई नहीं रखता।
3. हमारे लड़के को सिखायेगी
कई सास-ससुर को यह वहम रहता है कि वे अगर बहू को उठने, बैठने, चलने की आज़ादी देंगे तो काम से फ़ुरसत लेकर घूमने चली जाएगी और फिर क्या पता कि हमारे बेटे को क्या सिखा देगी। उनको हमेशा यह डर रहता है कि बेटा कुछ भी कहे बहू ही सिखाती है।
4. कल को हमें कंट्रोल करेगी
ससुराल वाले अपनी बहू को बेटी की तरह कभी नहीं अपना पाते और उन्हें यही लगता है कि कल को अगर इसको थोड़ा सा भी ढीला छोड़ दिया तो यह घर परिवार का पूरा कंट्रोल अपने हाथों में ले लेगी और किसी को कुछ नहीं समझेगी।
5. सोसाइटी में हमारी क्या इज़्ज़त रह जाएगी
कुछ ससुराल वालों को लगता है कि अगर वे अपनी बहू को बेटी जितनी छूट देंगे तो सोसाइटी के लोग उनके बारे में सोचेंगे कि शायद ये अपनी बहू से डरते हैं। लेकिन वे यह नहीं समझते कि इसी चक्कर में वे अपनी बहू का गोल्डन टाइम वेस्ट कर रहे हैं और यह बात वो कभी नहीं भूलेगी।
हमारे समाज के लोगों को यह समझने की ज़रूरत है कि बहू को बेटी ना सही बहू समझ कर ही अपने घर में बनता मान सम्मान दें। लेकिन विडंबना यह है कि बहू से घर का सारा काम भी करवायेंगे और फिर भी वो पराई ही कहलाएगी।