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Photograph: (File Image )
Does Being a Good Mother Only Mean Sacrifice: जब हम भारतीय माँ की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में एक टिपिकल तस्वीर उभरती है, एक माँ जो सुबह सबसे पहले उठती है, बच्चों के लिए खाना बनाती है, पति के ऑफिस जाने की तैयारी करती है, सबको नाश्ता करवाती है, बच्चों को स्कूल भेजती है, उनकी पढ़ाई और हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखती है। इस प्रक्रिया में वह कहीं न कहीं खुद को खो देती है। भारतीय समाज में ऐसी महिला को "आदर्श माँ" माना जाता है, क्योंकि माँ का फर्ज त्याग से जोड़ा जाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या अच्छी माँ बनने के लिए खुद को पूरी तरह त्याग देना जरूरी है?
क्या अच्छी मां बनने का मतलब सिर्फ त्याग करना है?
इसका जवाब नहीं है। हर भारतीय महिला को यह समझना होगा कि आपको अपनी अच्छाई या बुराई की वैलिडेशन किसी से लेने की जरूरत नहीं है। समाज का बनाया हुआ यह ढांचा कि "माँ को हर समय त्याग करना चाहिए" पूरी तरह सच नहीं है, और इसे आँख मूंदकर मानने की कोई जरूरत नहीं। अगर आप समाज से हरी झंडी पाना चाहती हैं, तो आप उस रास्ते पर चल सकती हैं, लेकिन अगर आप सही मायने में खुश और संतुलित जिंदगी चाहती हैं, तो आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं।
अच्छी माँ होने का मतलब यह नहीं कि आपको 24 घंटे दूसरों की सेवा में लगे रहना है या हर समय दूसरों की हाँ में हाँ मिलानी है। अच्छी माँ होने का मतलब है कि आप अपने बच्चे की शारीरिक, सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक जरूरतों का ध्यान रखते हुए खुद का भी ख्याल रखें। कई महिलाएँ बच्चों की परवरिश में इतना खो जाती हैं कि उन्हें अपनी पहचान, अपनी इच्छाएँ, और अपनी सेहत का ख्याल ही नहीं रहता। नतीजतन, कई महिलाएँ अपनी उम्र से पहले ही खुद को बूढ़ा महसूस करने लगती हैं या सोचती हैं कि उनकी जिंदगी खत्म हो गई है।
यह सोच बिल्कुल गलत है। समाज ने आपके लिए एक ऐसा ढांचा बना दिया है, जिसे आप सच मान बैठी हैं, जबकि यह सच्चाई से कोसों दूर है। आप अपनी जिंदगी को पूरे उत्साह से जी सकती हैं। आप अपनी पसंद की चीजें कर सकती हैं—घूमने जा सकती हैं, मनपसंद खाना खा सकती हैं, मनचाहे कपड़े पहन सकती हैं, या एक दिन का ब्रेक ले सकती हैं। लेकिन इसके लिए आपको अपनी आवाज उठानी होगी। आपको दूसरों के साथ स्पष्ट सीमाएँ (boundaries) बनानी होंगी और अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी होगी।
सबसे जरूरी है कि आप संतुलन बनाना सीखें। जब तक आप अपने बच्चों की परवरिश और अपनी पहचान के बीच संतुलन नहीं बनाएँगी, तब तक यह संघर्ष चलता रहेगा। अच्छी माँ बनने का मतलब है कि आप न केवल अपने बच्चों को प्यार और समर्थन दें, बल्कि खुद को भी उतना ही प्यार और सम्मान दें।