दहेज जैसी कुप्रथा अभी भी ले रही है महिलाओं की जान, कब थमेगा सिलसिला

आज के युग में भी दहेज जैसी कुप्रथा से तंग आकर महिलाएं अपनी जान ले रही हैं। इससे बड़ा सामाजिक अपराध और कुछ नहीं हो सकता। सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी तक पूर्ण रूप में सफलता नहीं मिली है।

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Rajveer Kaur
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Dowry Demands Drive Women to Despair in India: आज के युग में भी दहेज जैसी कुप्रथा से तंग आकर महिलाएं अपनी जान ले रही हैं। इससे बड़ा सामाजिक अपराध और कुछ नहीं हो सकता। सदियों से चली आ रही इस कुप्रथा को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी तक पूर्ण रूप में सफलता नहीं मिली है। आखिर कब तक महिलाएं इस मानसिकता का शिकार होती रहेंगी और ससुराल वालों द्वारा उनके साथ क्रूर व्यवहार किया जाता रहेगा? यह एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन इस पर उतनी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा। 

दहेज जैसी कुप्रथा अभी भी ले रही है महिलाओं की जान, कब थमेगा सिलसिला

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भारत जैसे देश में शादी केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का संगम होती है। शादियों पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं ताकि समाज को खुश किया जा सके और परिवार की इज्जत बढ़ाई जा सके। लेकिन इस प्रक्रिया में लड़की के परिवार पर अत्यधिक दबाव डाला जाता है, विशेषकर दहेज के रूप में। 

गिफ्ट के नाम पर दहेज की लूट 

आजकल दहेज को "गिफ्ट" का नाम देकर खुलेआम लूट मचाई जा रही है। दहेज मांगने वाले बेशर्मी से कहते हैं, "हमें दहेज चाहिए, वरना आपकी बेटी की शादी नहीं होगी।" लड़की के परिवार को भी लगता है कि दहेज न देने पर उनकी बेटी की शादी नहीं हो पाएगी।

एडजस्ट करना पड़ेगा 

यदि कोई लड़की दहेज के कारण ससुराल में प्रताड़ित होती है और वह अपने माता-पिता को यह बताना चाहती है, तो उसे "एडजस्ट" करने की सलाह दी जाती है। यह "एडजस्ट" शब्द ही महिलाओं को घुट-घुटकर जीने के लिए मजबूर करता है। उनकी मानसिकता में यह बात डाल दी जाती है कि यदि वे एडजस्ट नहीं करेंगी, तो वे अच्छी पत्नी या बेटी नहीं कहलाएंगी। परिवार की इज्जत बचाने के लिए कई महिलाएं अपनी जान तक दे देती हैं।

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हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां शादी के कुछ ही दिनों या महीनों बाद लड़कियों को दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिसके कारण उन्हें आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा। यह विचारणीय विषय है। जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी और लोग यह नहीं समझेंगे कि दहेज लेना और मांगना दोनों ही अपराध हैं, तब तक बदलाव संभव नहीं होगा। लड़की के परिवार को यह समझना होगा कि उनकी बेटी बोझ नहीं है। यदि कोई दहेज मांगता है, तो उसे दहेज न दें, क्योंकि इससे आपकी बेटी का जीवन ख़ुशहाल नहीं होगा। 

बेटियों को आत्मनिर्भर बनाएं

अपनी बेटियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं। उन्हें यह अधिकार दें कि वे अपने जीवनसाथी का चयन स्वयं कर सकें और किसी पर बोझ न बनें। इसके साथ ही, लड़के के माता-पिता को यह समझना होगा कि उनके बेटे की शादी कोई सौदा नहीं है, जो पैसे के बदले की जाए।

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