Financial Abuse Of Women: अगर आप यह समझते हैं कि हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को सिर्फ शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तरीके से ही प्रताड़ित किया जाता है तो यह गलत है। महिलाओं के प्रति फाइनेंसियल अब्यूज भी एक मुख्य तथ्य है, जिसको समझने की जरूरत है और इसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। जानिए क्या है महिलाओं के प्रति फाइनैंशल अब्यूज और क्यों इस पर बात करना है जरूरी।
जेंडर इनिक्वालिटी है बड़ा मुद्दा
हमारे भारतीय समाज में जेंडर इनिक्वालिटी महिलाओं के प्रति होने वाले हिंसा के लिए जिम्मेदार है। हम सभी को शारीरिक प्रताड़ना दिखाई दे सकती है, मानसिक प्रताड़ना भी हम कुछ हद तक अब समझने लगे हैं लेकिन जब बात महिलाओं के प्रति फाइनेंसियल अब्यूज की आती है तो इस पर हम ध्यान नहीं देते हैं। फाइनेंसियल अब्यूज शादीशुदा महिलाओं के लिए काफी गंभीर मुद्दा है। जिस पर हमारे समाज में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा को कवर करने वाले कई बड़े संस्थान भी ध्यान नहीं देते हैं।
क्या है फाइनेंसियल अब्यूज?
महिलाओं के प्रति होने वाला फाइनेंसियल अब्यूज उनके पार्टनर या किसी अन्य क्लोज रिश्तेदार के द्वारा किया जाने वाला आर्थिक नियंत्रण अथवा शोषण है जो महिलाओं की आजादी को सीमित करने के लिए जिम्मेदार है। इस तरह के शोषण में महिलाओं को काम करने से रोक दिया जाता है। उनके पास कितना पैसा है इस बात की जानकारी रखी जाती है। उनको बैंक खातों कोई भी सुविधा नहीं होती है। किसी भी प्रकार की संपत्ति में उनका कोई अधिकार नहीं होता है या फिर अगर उनका पार्टनर उन्हें पैसे देने के लिए जिम्मेदार है तो पार्टनर के द्वारा इस बात को सीमित किया जाता है कि वह कितना पैसा कब, कहां और कैसे खर्च करेंगे। बहुत बार महिलाओं को उनके रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी पैसे देने से मना कर दिया जाता है। इस शोषण का एक गंभीर रूप यह भी है कि इसमें पार्टनर के द्वारा महिलाओं को पैसे की भीख मांगने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। यही कारण है कि आम घरों में महिलाएं अपनी जरूरतों के लिए कुछ पैसे छुपा कर रखने लगती है।
कैसे इस अब्यूज को कम किया जा सकता है?
इस प्रकार के शोषण को कम करने के लिए हमें चाहिए कि हम महिलाओं की शिक्षा पर अधिक ध्यान दें और उन्हें सिर्फ शादी करने के लिए नहीं बल्कि पहले एक कैरियर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करें। हमारी सरकार को भी यह चाहिए कि महिलाओं के प्रति होने वाले शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण के साथ-साथ आर्थिक शोषण को भी एक गंभीर मुद्दा माना जाएं क्योंकि इस प्रकार का शोषण भी महिलाओं की आजादी को सीमित करता है।