Slut Shaming In School: लड़कियां स्कूल में शिकार होती है स्लटशेमिंग का

स्कूल में भी अक्सर लड़कियों को बचपन से ही उन्हें यौन तौर पर समझने पर मजबूर कर दिया जाता है। स्कूलों में ऐसे बहुत से कमेंट लड़कियों को सुनने को मिलते हैं जो स्लटशेमिंग करते हैं। पढ़िए पूरा आर्टिकल इस ओपिनियन ब्लॉग में-

Monika Pundir
17 Nov 2022
Slut Shaming In School: लड़कियां स्कूल में शिकार होती है स्लटशेमिंग का

Slut Shaming In School

Slut Shaming In School: स्कूल हमारे समाज में ऐसा स्थान माने जाते हैं जहां पर हम एक सुरक्षित माहौल का अनुभव करते हैं। लेकिन लड़कियों के लिए यह पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता है। स्कूल में भी अक्सर लड़कियों को बचपन से ही उन्हें यौन तौर पर समझने पर मजबूर कर दिया जाता है। स्कूलों में ऐसे बहुत से कमेंट लड़कियों को सुनने को मिलते हैं जो स्लटशेमिंग करते हैं। आइए जानते हैं उन कॉमेंट्स के बारे में जो हमें स्कूलों में लड़कियों के लिए आसानी से सुनने को मिल जाते हैं और जिन्हें हमें बिल्कुल भी सामान्य नहीं समझना चाहिए।

1. यूनिफॉर्म पर अक्सर मिलते हैं कॉमेंट

स्कूलों में लड़कियों की यूनिफार्म को लेकर काफी कॉमेंट सुनने को मिलते हैं। यहां तक अध्यापक भी लड़कियों को ऐसे कमेंट बोल देते हैं जो उन्हें यौन रूप से असहज महसूस करवा सकते हैं। लड़कियों के यूनिफार्म पर अक्सर ऐसे कमेंट पास किए जाते हैं जहां उन्हें लड़कों को उकसाने के लिए रिस्पांसिबल बता दिया जाता है। यानी हमें उस स्कूल से ही है सिखाया जाता है कि विक्टिम ब्लेमिंग कैसे करनी है।

2. लड़कियों के हेयर स्टाइल पर दिए जाते हैं बहुत से कमेंट

स्कूलों में लड़कियों के हेयर स्टाइल पर बहुत से कमेंट सुनने को मिलते हैं। अक्सर लड़कियों को कहा जाता है कि वह दो चोटी बनाकर आएंगे क्योंकि यह समझा जाता है कि दो चोटी में शायद उनकी सुंदरता कहीं छुप जाती है। अगर लड़कियां अलग-अलग हेयर स्टाइल बनाकर आती है तो उन्हें यह जताया जाता है कि वह यह सब लड़कों को रिझाने के लिए कर रही हैं।

3. लड़कों को लड़कियों के साथ बैठाना एक पनिशमेंट समझा जाता है

यह स्कूलों का दोगलापन ही है कि वह कोएजुकेशन की बात करते हैं लेकिन क्लासेस में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठाया जाता है। यहां तक कि अगर किसी लड़के को कोई पनिशमेंट देनी है तो उसे पनिशमेंट के तौर पर एक लड़की के साथ बैठा दिया जाता है|

4. लड़कियों के शरीर को किया जाता है ऑब्जेक्टिफाई

स्कूलों में अध्यापकों द्वारा भी लड़कियों को उनकी बॉडी के प्रति असहज महसूस करवाने वाले कमेंट पास किए जाते हैं। अगर किसी लड़की की ब्रेस्ट ज्यादा ऊभरी हुई है तो उन्हें यह बताया जाता है कि किस हिसाब से कपड़े पहनने है ताकि वह लड़कों का ध्यान आकर्षित ना करें। जिस कारण लड़कियों का आत्मविश्वास टूटता है और वह अपने शारीरिक आकार पर असहज महसूस करने लगती हैं।

5. सेक्स एजुकेशन के नाम पर अलग-अलग सेक्शन

स्कूलों में जब सेक्स एजुकेशन की बात आती है तो लड़के व लड़कियों को अलग-अलग सेक्शन में बैठा दिया जाता है। खासकर ग्रामीण स्कूलों में जहां कोएजुकेशन की काफी जरूरत है वहां ऐसी चीजें देखने को आसानी से मिल जाती हैं। सेक्स एजुकेशन के नाम पर कंसेंट जैसी चीजों की जानकारी ना देकर सिर्फ किताबी जानकारी दी जाती है।

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