Daughters Living Outside: भारत में पुराने समय से एक परम्परा चली आ रही है जिसमे यह सुनिश्चित किया जाता है कि घर के बेटे बाहर शहरों में रहकर काम करेंगे और पढ़ाई करेंगे। लेकिन बेटियां घर पर रहकर ही अपने सपनों को पूरे करें। हालाकि इसमें कुछ परिवारों में बदलाव भी हुआ है लेकिन अब भी बहुत से लोगों को लड़कियों के बाहर जाकर रहने और पढ़ाई या जॉब करने से समस्या होती है। लोग यह कहते हैं कि लड़कियां घर की इज्ज़त होती हैं और वे घर में ही रहती हैं तो यह इज्ज़त बनी रहती है। अक्सर जो माता-पिता अपनी बेटियों को बाहर भेजते हैं उन्हें भी कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं कि देखना कहीं खान-दान की इज्ज़त का चली जाए, बेटी को बाहर भेज रहे हो कुछ उल्टा-सीधा हो गया तो क्या करोगे, ध्यान रखना कहीं लाड-प्यार के चक्कर में मुंह काला ना करवाना पड़ जाए वगैरह-वगैरह। आखिर ऐसा क्यों होता है। आइये जानते हैं इस ब्लॉग में माध्यम से-
भारतीय में लड़कियों के घर से बाहर से समस्या होने के कुछ कारण
1. सामाजिक और सांकृतिक मानदंड
भारत में पुराने समय से ऐसा माना जाता था कि बेटियां शादी करने और बच्चे पालने के लिए हैं। उन्हें घर के काम काज को सीखना चाहिए और वहीं दूसरी तरफ बेटों को पढाई के लिए विदेशों तक भेजा जाता था। सामाजिक मानदंडों के अनुसार बेटियों का घर के बाहर जाना स्वीकार नहीं किया जाता है। जिसकी कुछ स्थितियां आज भी भारतीय समाज में शेष बची हुईं हैं।
2. सुरक्षा संबंधी चिंताएँ
भारत में लोग महिलाओं की सुरक्षा को लेकर काफी ज्यादा प्रभावित रहते हैं। उनका मानना होता है कि बड़े शहरों में महिलायें ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं। जिसके चलते वे बेटियों को घर पर ही सुरक्षित रखना चाहते हैं। ऐसी धारणा है कि अपने पारिवारिक घर से बाहर रहने पर महिलाएं कई समस्याओं जैसे- शारीरिक सुरक्षा, उत्पीड़न या अन्य सामाजिक मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं।
3. लैंगिक असमानता और पितृसत्ता वाला समाज
दुनिया के अन्य समाजों की तुलना में भारत में आज भी महिला और पुरुषों में बहुत अंतर किया जाता है। जिसके चलने महिलाओं को पुरुषों की बराबरी करने या उनके समान जीवन जीने से रोका जाता है। भारत में आज भी कुछ समाजों में महिलाओं को गृहिणी के रूप में देखा जाता है। इसलिए जब एक बेटी स्वतंत्र रूप से रहने या घर से बाहर अपना करियर बनाने का निर्णय लेती है तो यह इन पारंपरिक मानदंडों को चुनौती देता है। जिसका लोग विरोध करते हैं।
4. कलंक का डर
भारत में कई जगहों पर आज भी बेटियों को बाहर सिर्फ इसलिए नहीं भेजा जाता है क्योंकि परिवार के सदस्यों को इस बात का डर होता है कि यदि उनकी बेटियों के साथ कोई गलत व्यवहार होता है या फिर उनकी बेटियां कोई ऐसा कदम उठाती हैं जो समाज को चुनौती देता है तो ऐसे में उन्हें सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ सकता है।
5. आर्थिक स्थितियां
कई परिवार ऐसी सोच रखते हैं कि बेटियों पर हम अपना ज्यादा पैसा खर्च करके उन्हें क्यों पढ़ाएं उन्हें तो शादी करके किसी दूसरे के घर ही जाना है जबकि यही पैसा हम अपने बेटे पर लगायें जो कि हमारे परिवार का सहारा बनेगा। ऐसे में वे अपनी बेटियों को बाहर भेजने से बचते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए भी लड़कियों को बाहर नहीं भेजा जाता है।