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मां-बाप को परंपराओं से ज्यादा बच्चों को हक के लिए लड़ना सिखाना चाहिए

ओपिनियन आज का समय बदल रहा है। समाज में लैंगिक समानता की बातें हो रही हैं। लड़के और लड़कियों को समान अवसर और अधिकार मिलने चाहिए, इस बात को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। जानें अधिक इस पेरेंटिंग ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
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How To Raise Children Who Stand Up for Themselves :आज का समय बदल रहा है। समाज में लैंगिक समानता की बातें हो रही हैं। लड़के और लड़कियों को समान अवसर और अधिकार मिलने चाहिए, इस बात को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। ऐसे में यह जरूरी है कि मां-बाप अपने बच्चों को परंपराओं से ज्यादा उनके हक के लिए लड़ना सिखाएं।

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परंपराओं से ज्यादा हक के लिए लड़ना क्यों जरूरी है?

परंपराएं कई बार लड़कियों के लिए बाधा बन जाती हैं। उन्हें अपने सपनों को पूरा करने से रोकती हैं। लड़कियों को अपने जीवन के फैसले लेने का अधिकार होता है। उन्हें यह तय करने का अधिकार होता है कि वे क्या करना चाहती हैं। परंपराएं अक्सर लड़कियों को इन अधिकारों से वंचित करती हैं।

उदाहरण के लिए, हमारे समाज में अभी भी यह सोच है कि लड़की को घर पर रहना चाहिए और शादी करनी चाहिए। उसे पढ़ाई करने या नौकरी करने का अधिकार नहीं है। यह सोच गलत है। लड़कियों को भी पढ़ाई करने और नौकरी करने का अधिकार है।

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मां-बाप बच्चों को हक के लिए लड़ना कैसे सिखा सकते हैं?

  • बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में बताएं। उन्हें बताएं कि उन्हें क्या अधिकार हैं और वे अपने अधिकारों के लिए कैसे लड़ सकते हैं।
  • बच्चों को आत्मविश्वास दें। उन्हें बताएं कि वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं, अगर वे अपने लिए लड़ें।
  • बच्चों को दूसरों की राय से प्रभावित न होने दें। उन्हें बताएं कि वे अपनी राय रखें और अपने लिए खड़े हों।

मां-बाप बच्चों को हक के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, अगर वे खुद भी अपने हक के लिए लड़ते हैं। अगर मां-बाप अपने बच्चों के सामने खुद को कमजोर दिखाते हैं, तो बच्चे भी अपने अधिकारों के लिए लड़ने से डरेंगे।

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आज के समय में मां-बाप को अपने बच्चों को परंपराओं से ज्यादा उनके हक के लिए लड़ना सिखाना चाहिए। इससे बच्चे एक मजबूत और आत्मनिर्भर व्यक्ति बनेंगे। वे अपने सपनों को पूरा कर सकेंगे और एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकेंगे।

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