Is Body Positivity Just a Fancy Word for Society? आज के समय में "Body Positivity" और "Self Love" जैसे शब्द हर तरफ चर्चा में हैं। सोशल मीडिया से लेकर समाज तक, हर कोई इन विचारों को बढ़ावा देने की बात करता है। ये शब्द हमें सिखाते हैं कि खुद से प्यार करना और अपने शरीर को अपनाना कितना ज़रूरी है। लेकिन जब यही समाज हमें हमारे शरीर, कपड़ों, या आकार को लेकर शर्मिंदा करता है, तब इस सोच का असली सच सामने आता है।
शरीर का आकार और समाज की सोच: दोगलेपन की हद कहां तक?
क्या कभी आपने सोचा है कि समाज का ये रवैया कितना दोगला है? एक तरफ वो हमें कहता है कि अपने आप से प्यार करो, जैसी भी हो वैसे खुद को अपनाओ। और दूसरी तरफ, जब हम अपनी पसंद के कपड़े पहनते हैं या अपने शरीर को अपनाते हैं, तो यही समाज हमें जज करता है। "तुम थोड़ी मोटी नहीं हो short dress पहनने के लिए?" या "तुम्हारे जैसे लोग इस स्टाइल में अच्छे नहीं लगते।"
यानी, समाज body positivity और self love की बात तो करता है, लेकिन अपनी सोच को बदलने को तैयार नहीं। क्या इसका मतलब ये है कि हमारा शरीर ही हमारी पहचान है? क्या किसी के कपड़े या शरीर का आकार उसके व्यक्तित्व, गुण, और क्षमता से ज़्यादा मायने रखता है?
क्या समाज के नियम सिर्फ दिखावा हैं?
समाज कहता है, "बेटा, Body Positivity अपनी जगह है, पर तुम थोड़ी सी मोटी नहीं हो इस short dress में फिट होने के लिए?" अब इस बात का क्या मतलब है? एक तरफ हमें सिखाया जाता है कि खुद से प्यार करना चाहिए, दूसरी तरफ हमें फिट होने के लिए किसी 'परफेक्ट बॉडी' की कसौटी पर तौला जाता है।
क्या यह दोगलापन नहीं है? क्या समाज यह तय करेगा कि हमें किस तरह से जीना चाहिए, क्या पहनना चाहिए, और खुद से कितना प्यार करना चाहिए?
सवाल क्यों न उठाएं?
जब कोई आपसे कहे कि आप किसी खास कपड़े में अच्छे नहीं लगते, तो आप उनसे बस इतना पूछिए, "आपको नहीं लगता कि आपकी सोच को थोड़ा और खुला होना चाहिए?"
क्योंकि सच तो यह है कि हमें अपने शरीर के आकार या कपड़ों से नहीं, बल्कि अपनी सोच से मापा जाना चाहिए।
खुद से प्यार करें, समाज से सवाल करें
Body Positivity का असली मतलब यह है कि आप अपने शरीर को अपनाएं, जैसा भी है। मोटे, पतले, लंबे, छोटे – ये सब बस टैग हैं। असली खूबसूरती इस बात में है कि आप खुद से प्यार करें और समाज की खोखली सोच को चैलेंज करें।
बदलाव कब आएगा?
समाज में बदलाव तब आता है जब हम सवाल उठाना शुरू करते हैं। हर बार जब कोई आपको जज करे, तो उन्हें बताएं कि उनकी सोच को थोड़ा "फिट" करने की ज़रूरत है। क्योंकि कपड़ों से ज़्यादा, इंसान की सोच मायने रखती है।
Body Positivity और Self Love सिर्फ शब्द नहीं हैं, ये हमारी ज़िंदगी का एक हिस्सा बनना चाहिए। समाज को यह समझने की ज़रूरत है कि हर शरीर खास है। अगली बार जब कोई आपको आपके शरीर के लिए शर्मिंदा करने की कोशिश करे, तो उन्हें बताइए कि शायद उन्हें अपनी सोच पर काम करने की ज़रूरत है।
"कपड़े शरीर पर फिट हों या ना हों, सोच दिल और दिमाग में ज़रूर फिट होनी चाहिए।"