Is Indian Women Lacking Of Sex Education: भारत में आज भी जब सेक्स एजुकेशन की बात आती है तो हम चुप कर जाते हैं या उस बातचीत को छोड़कर चले जाते हैं। अब भी लोग सबसे जरूरी चीज 'सेक्स' पर बात करने से कतराते हैं। हमारे देश में कामसूत्र जैसे ग्रंथ लिखे गए लेकिन फिर भी लोग मूलभूत जानकारी से वंचित है। जब भी बातचीत में सेक्स शब्द का प्रयोग किया जाता है लोग घबराने लग जाते हैं उनके अंदर इस शब्द को लेकर सहजता नहीं है। जिस कारण वह बात नहीं कर पाते और यह गैप धीरे-धीरे इतना बढ़ रहा है कि आने वाली जेनरेशन पर भी इसका असर दिख रहा है।
आज भी भारतीय महिलाएं सेक्स एजुकेशन से वंचित?
महिलाओं की शारीरिक जरूरत पर असर
महिलाओं की शारीरिक जरूरत पर भी सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण असर पड़ रहा है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि इसके बारे में बातचीत ही नहीं की जाती। महिलाएं सेक्स के दौरान क्या चाहती है, किस पोजीशन में उन्हें अच्छा लगता है, उनकी फैंटसी, क्या चीज उन्हें नहीं पसंद है आदि के बारे में अपने पार्टनर से बात नहीं कर पाती क्योंकि रिलेशन में इतनी सहजता नहीं है कि इस बात को पार्टनर को बता पाए। जिस कारण बहुत सारी महिलाओं को फेक ऑर्गैस्म का नाटक करना पड़ता है क्योंकि वे अपने पार्टनर को बता ही नहीं पाती कि उन्हें किस लेवल का सुख चाहिए।
गलत और अधूरी जानकारी
यौन गतिविधियों के बारे में लोगों में गलत और अधूरी जानकारी मौजूद है। जिसके कारण बहुत सारी समस्याएं आती है। इसमें से एक यह भी है कि बहुत कम उम्र में लड़कियां प्रेग्नेंट हो जाती है या एसटीडी और एचआईवी एड्स जैसी भयानक बीमारियां भी सामने आती है। डाटा के अनुसार लगभग 45% ने 24 साल से पहले शादी कर ली और 11.9% ने 15 से 19 साल के बीच शादी कर ली। इस जोखिम के अलावा, इनमें से लगभग 1/3 लड़कियाँ 19 साल से पहले कम से कम एक बच्चे को जन्म दे देती हैं।
शारीरिक और यौन हिंसा
भारत में शारीरिक और यौन हिंसा बहुत ज्यादा आम है NFHS सर्वे के अनुसार देखा जाए तो 18 से 49 के बीच की शादीशुदा महिलाएं सबसे ज्यादा शारीरिक उसके बाद भावनात्मक और फिर शारीरिक शोषण का शिकार होती है। रिसर्च के अनुसार भारत में लाइफटाइम शारीरिक और यौन अंतरंग साथी हिंसा 28.8% है, एक साल की व्यापकता 22% है और हमारी लैंगिक असमानता रैंक (Gender Inequality Rank) 125 है, जिसका अर्थ है कि हमें महिलाओं के लिए लैंगिक अधिकार प्राप्त करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना होगा। इसके साथ ही भारत में प्लान किए बिना गर्भधारण और असुरक्षित गर्भपात प्रथाएं प्रचलित हैं, और गर्भनिरोधक सेवाओं की महत्वपूर्ण जरूरत है।
गंभीरता से सोचने की जरूरत
इस मुद्दे पर समाज को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। इसके समस्या के कारण महिलाओं का शारीरिक, भावनात्मक और यौन शोषण को सहन करना पड़ता है। जब तक हम इस समस्या पर गंभीर रूप से सोचेंगे नहीं और कदम नहीं उठाएंगे तब तक इससे निकल नहीं पाएंगे। इसके लिए हमें शुरआती स्तर पर ही बच्चों को सही शिक्षा देने की जरूरत है। 18 साल तक बच्चों को बेसिक सेक्स एजुकेशन होनी चाहिए। इससे महिलाओं के साथ होने वाले शोषण में गिरावट आ सकती है और महिलाएं भी अपनी शारीरिक जरूरतों के बारे में खुलकर बात कर सकती है।