Co-education: लैंगिक समानता के लिए क्यों जरूरी है सह-शिक्षा

आज का युग बहुत आगे बढ़ चुका है लेकिन इन संस्थानों में बच्चों को दूसरे जेंडर से दूर रखकर उनके अंदर उनसे बात करने के लिए आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। टीचर्स भी ऐसे शब्दों का प्रयोग करती है जो बच्चों को ट्रामा देकर जाते है। 

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Rajveer Kaur
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Co- Education

Image: Education Times

Co-education: सह शिक्षा भारत में अभी भी नार्मल नही हुई है। आप अपने पास नजर मारिए और देखेंगे कितने ही आपको लड़कियों और लड़कों के अलग-अलग स्कूल और कॉलेज मिल जाएंगे। आज यहाँ बड़े सत्तर लैंगिक समानता की बात होती है लेकिन जब बात एजुकेशन की बात होती है फिर एक ख़ामोशी आ जाती है? क्यों आज भी हमारे समाज में  ऐसे शैक्षिक संस्थान हैं यहाँ लड़के और लड़कियों को अलग-अलग पढ़ाया जाता है। आज का युग बहुत आगे बढ़ चुका है लेकिन शैक्षिक संस्थानों में अभी भी यह बात नहीं गई है।  इन संस्थानों में बच्चों को दूसरे जेंडर से दूर रखकर उनके अंदर उनसे बात करने के लिए आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। उनके बीच एक शर्म का पर्दा आ जाता है। टीचर्स भी ऐसे शब्दों का प्रयोग करती है जो बच्चों को ट्रामा देकर जाते है।

Co-education: लैंगिक समानता के लिए क्यों जरूरी है सह-शिक्षा

1. जेंडर आधार पर समझ (Understanding B/w Genders)

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जिन लोगों ने सह-शिक्षा हासिल की होगी वे इस बात को समझते होगी जब हम दूसरे जेंडर के साथ एक ही शैक्षिक संस्थान में पड़ते है इससे हम दूसरे जेंडर को शाररिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर समझते है.हमें पता लगने लग जाता है क्या समस्याएं आती है। जैसे लड़के इस बात को समझने लग जाते है कि लड़कियों को माहवारी आती है इन दिनों उन्हें काफी चीज़ों से गुजरना पड़ता है।  लड़किया भी लड़कों  में जानने लगती है उनमें रहती है जिससे आगे जाकर वह एक-दूसरे को समझते है।  

2. आत्मविश्वास (Confidence)

जब हम सह-शिक्षा में पड़ते है हमारे अंदर दूसरे जेंडर के प्रति कॉन्फिडेंस आता है हमरे अंदर उनके प्रति कोई डर या झिझक नहीं रहती है हम उनके सामने खुलकर बात करने में सामर्थ्य होते है।

3. मानसिक विकास (Mental development)

इसके साथ हमारा  दिमाग का भी बहुत ज्यादा विकास होता है।  एक दूसरे के जेंडर के प्रति जो stereotypes बने होते है हम उनको भी तोड़ते है क्यूंकि हम सीधा उनके साथ इंटरैक्ट करते है। 

4. सामाजिक शिष्टाचार (Social etiquette)

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इसके साथ दूसरे  जेंडर के साथ कैसे वहव्यार, बातचीत, कपडे पहनने का सलीका इसके  साथ कैसे उनके सामने अपने आप को पेश करना है  इन सब का पता हमें सह शिक्षा में ही पता चलता है। 

5. विपरीत जेंडर के प्रति आकर्षण (Attraction with opposite sex)

इसके साथ हम जब गर्ल्स या बॉयज स्कूल में पड़ते है हम एक घुटन जाती हैं हमें अपनी फीलिंग एक्सप्रेस करने का मौका नहीं मिलता लेकिन जब हम सह शिक्षा में पड़ते है हमें पता लगता है कैसे हमें दूसरे जेंडर के साथ अट्रैक्ट  हो सकते है।

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