Myths About Maturity : यदि हम किसी मिथक की बात करें तो समझ में किसी न किसी चीज को लेकर जरूर कोई ना कोई मिथक है और उन्हें में से आजम मैच्योरिटी की बात करेंगे
मिथक जो मैच्योरिटी के लिए बनाए गए हैं
मैच्योर व्यक्ति को समाज का सबसे होशियार इंसान माना जाता है इसीलिए उनसे गलती की कोई कामना नहीं करी जाती और अगर उनसे गलती हो भी गई तो उन्हें बहुत गलत माना जाता है क्योंकि समाज के लिए वह इंसान ऐसे स्थान पर है जहां से गलती की कोई गुंजाइश करी ही नहीं जाती इसलिए आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे की समाज में मैच्योरिटी से जुड़े कितने और कैसे मिथक है
"मैच्योरिटी उम्र से आती है"
बहुत बार यह बोला जाता है की एक इंसान में मैच्योरिटी एक उम्र के बाद ही आ सकती है इसलिए बड़े लोगों को हमेशा मेच्योर समझा जाता है, पर सबका यह जानना भी बहुत ज्यादा जरूरी है कि हरि के जीवन में ऐसे पड़ाव भी आ सकते हैं जो उनको उम्र से पहले ही मेच्योर कर सकता है और जीवन की समझ भी उन्हें पहले ही मिल सकती है इसलिए बहुत बार उमर को मैच्योरिटी से नहीं जोड़ना चाहिए
"मैच्योर इंसान गलती नहीं करते"
लोगों को यह सोचना अब कम कर देना चाहिए कि मेच्योर इंसान से गलती नहीं होती, पर सबको यह समझना भी बहुत ज्यादा जरूरी है कि अपने जीवन में मिस्टेक हर एक इंसान से होती है इसलिए ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसने कभी अपने जीवन में गलती ही नहीं करी यह बात सबको जानना और यह समझना जरूरी है की मैच्योरिटी को समझने में उन्होंने जरूर कोई गलती करी है
"मैच्योर इंसान सब कुछ सॉल्व कर देता है"
लाइफ में बहुत सी ऐसी प्रॉब्लम्स आते हैं जिनको हर कोई सॉल्व नहीं कर पाते हैं इसलिए यह समझ लेना की एक पार्टिकुलर इंसान उसे प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकता है यह बहुत बड़ी गलती है लाइफ की प्रॉब्लम वही इंसान सॉल्व कर सकता है जिसमें अपनी जिंदगी में पिछले कम से जुड़े कुछ एक्सपीरियंस लिए हो इसलिए हर बात में मेच्योर इंसान और मैच्योरिटी को नहीं लाना चाहिए
"मैच्योर इंसान को एडवाइस की जरूरत नहीं पड़ती"
जीवन के किसी न किसी समय इंसान को एडवाइस की जरूरत जरूर पड़ती है इसलिए हमें कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि एक मैच्योर इंसान को कभी एडवाइस की जरूरत ही नहीं पड़ती और सही तौर पर मैच्योरिटी वही है जो दूसरों से अच्छी एडवाइस लेता है और कुछ सीखना है और इस एडवाइज को अपने जीवन में लागू भी करता है इसलिए यह कहना गलत है कि मेच्योर इंसान को एडवाइस की जरूरत नहीं पड़ती जबकि उनको भी एडवाइस की जरूरत पड़ती है
"मैच्योर इंसान जीवन में फन नहीं करते"
लोग बहुत पर मैच्योर इंसान का मतलब एक सीरियस इंसान को समझ लेते हैं जो कभी भी अपनी लाइफ में फन नहीं करता इसलिए हर किसी के मन में एक अलग धारणा बन जाती है की जो व्यक्ति केवल अपने काम में लगा होता है और हमेशा सीरियस होता है वही व्यक्ति असल में एक मैच्योर इंसान होता है जबकि ऐसा नहीं है हर एक इंसान को अपने जीवन में फन करने का अपना अलग समय बिताने का भी मन होता है और वह अपने कंफर्ट के हिसाब से यह काम करते हैं