Restrictions On Women: औरतें और कर्फ़्यू समय, क्यों औरतों पर ही लगती पाबंदियां

Rajveer Kaur
12 Oct 2022
Restrictions On Women: औरतें और कर्फ़्यू  समय, क्यों औरतों पर ही लगती पाबंदियां

आज भी महिलाओं को बहुत रोक कर रखा जाता है। उन्हें उनकी ज़िंदगी खुलकर नहीं जीने दी जाती है।बहुत सी औरतें हमारे पास होगी जिनका घर पर जाने का मन नहीं करता है क्योंकि उन्हें घर पर आज़ादी नहीं मिलती है उन्हें घर एक जेल की तरह लगता है। हमारे बीच बहुत सी ऐसी औरतें जो घर पर अलग ज़िंदगी जी रही होती है और बाहर उनकी अलग लाइफ़ होती है क्योंकि बाहर उन्होंने अपने तरीक़े से एक ज़िंदगी बनाई होती है जो उनके खुद के हिसाब से होती है। यह उनके लिए एक हैपी प्लेस बन जाता है यहाँ पर कोई रूल, कर्फ़्यू और रोक नहीं है।

Curfew time: औरतें और कर्फ़्यू  समय 

हमारे बीच बहुत सी महिलाएँ ऐसी होंगी जो आज भी घरों में टाक्सिक माहोल में रह रही होंगी।जिनके परिवार ऑर्थोडॉक्स और ट्रेडिशनल सोच के होंगे और जो इनको कुछ भी नहीं कर देते होंगे। उनके हिसाब औरतें घर पर रहनी चाहिए। घर का काम औरतों की ज़िम्मेदारी है इसके अलावा अगर बाहर जाना है तो उन्हें रात होने से पहले घर आना है। यह सब चीज़ें औरत को दबाकर रखती है। जब फिर वे बाहर निकलती है वहाँ पर अपनी एक जगह जहाँ उन्हें कोई कंट्रोल नहीं करता तों उन्हें फिर उस टाक्सिक माहौल से ज़्यादा घर पर रहना अच्छा लगता है।

 बहुत सी ऐसी औरतें है जितना भी टाइम उन्हें बाहर बिताने को मिलता है उसमें वह अपने दुख, दर्द, झगड़े और भी जितनी उन्हें घर पर प्रॉब्लम आती है वे सब भूल जाती है। एक वही ऐसा टाइम जो वह घर से बाहर बिता लेती है। जिसमें वे ख़ुशी के पल बिता लेती हैं। जिस कारण उनका घर से बाहर से घर जाने का मन नहीं करता है क्योंकि घर जाकर वहीं चीजें शुरू हो जाएगी।

हमें में से बहुत सी ऐसे महिलाएँ ऐसी होंगी जिन्हें उनके घरवालों ने कर्फ़्यू टाइम दिया जैसे किसी की 8 वजे किसी को 6 मिला हो गया। कहने का भाव किसी ना किसी को कोई टाइम तो मिला होंग। वही हम दूसरी तरफ़ लड़कों का देखे उनको कोई टाइम नही मिलता है। वे जब चाहे घर वापिस आ सकते हैं। उनसे कोई यह भी नहीं पूछेगा कि आप क्या से आए हो और किसके साथ है। उनका लेट आना हमारे समाज में सहज माना जाता है।

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