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Right To Marry: महिलाओं की शादी नही होती उनका निजी फैसला

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Swati Bundela
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process of court marriage

हमारे समाज में महिलाओं के लिए शादी एक निजी फैसला ना होकर सामूहिक फैसला होता है। खुद के लिए वर चुनने की महिलाओं को इजाजत नहीं होती है। महिलाओं के खुदके फैसले से ज्यादा उनके घर वाले, चाचा, ताऊ, अन्य रिश्तेदार, आस-पड़ोसी इन सब की हां और इन सब के विचार अधिक महत्व रखते हैं। 

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फैसला घरवालों का

उनको किससे शादी करनी चाहिए यह फैसला घरवालों का होता है। क्योंकि यह समझा जाता है कि मां-बाप को और बड़ों को अक्सर दुनियादारी की ज्यादा समझ होती है और वह लोगों को समझने में ज्यादा सक्षम होते हैं। हालांकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जो लड़का घर वाले चुनते हैं वह उनकी लड़की को जीवन भर खुश रखेगा या नही। लेकिन अगर एक लड़की खुद अपने लिए रिश्ता चुनती है या किसी को पसंद करती हैं अथवा शादी से पहले किसी से बात करती है, यह समाज में असंस्कारी लड़की की निशानी होती है। 

समाज का मानना है कि एक संस्कारी घर से आने वाली लड़कियां ऐसा नहीं करती हैं। यह सदियों से चला आ रहा महिलाओं पर एक प्रकार का दबाव है साथ ही साथ उनके घर वालों पर भी यह दबाव है कि अगर उनके घर की महिलाओं ने खुद के लिए रिश्ता चुना तो उनके घर की इज्जत पर दाग आ जाता है।

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शादी से पहले डेट करना बुरा क्यों?

शादी से पहले लड़की का किसी लड़के को डेट करना क्यों बुरा माना जाता है? बल्कि यह तो एक अच्छा तरीका है किसी इंसान को बेहतर तरीके से समझने का। एक इंसान के साथ अपनी जिंदगी बिताने का फैसला लेने से पहले आपको उसके बारे में कुछ बातों का जानना बहुत जरूरी होता है। शादी से पहले एक इंसान को डेट करना, आपको शादी करना या ना करने का बेहतर फैसला दिलाने के लिए एक सही तरीका है। जब एक लड़की किसी लड़के को शादी से पहले डेट करेंगी तो वह सही फैसला लेने में सक्षम होगी। वह समझ पाएगी कि उसको एक रिश्ते में सामने वाले इंसान से क्या अपेक्षाएं या इच्छाएं हैं और वह उनको पूरा कर सकता है या नहीं।

मां-बाप को समझने की है जरूरत

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रिश्तेदारों या आस-पड़ोसियों से ज्यादा यह बात मां-बाप को समझने की ज्यादा जरूरत है। उन्हें लोगों की बातों से ऊपर अपनी बेटी की खुशियों को रखना चाहिए। क्योंकि मां-बाप भी इंसान ही है और फैसला लेने में उनसे भी कई बार गलतियां हो जाती हैं। मां बाप भी अपनी बेटी के लिए एक ऐसा लड़का चुन लेते हैं जो उसे खुश नहीं रखता और वह नाखुश शादी का हिस्सा बन जाती है। जिससे उसके लिए वह शादी जीवन भर का तनाव बन जाती है। इसलिए मां-बाप को समझना चाहिए कि जो रिश्ता वह चुन रहे हैं उसमें आखिरकार जीवन उनकी बेटी को बिताना है। इसलिए शादी करने का या शादी किससे करनी है, यह अधिक फैसला उनकी बेटी का होना चाहिए।

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