क्या केवल लड़कों को दोस्त बनाने से एक लड़की के कैरक्टर पर उंगली उठाना सही है?

किसी की लड़की को कैरक्टरलेस कहने में आजकल कुछ सेकंड का समय भी नहीं लगता और उसके पीछे का रीजन बहुत बार केवल लड़कों से बात करना होता है और आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे ऐसी मेंटालिटी किसी रीजन से आती है

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B LIPSA RAGHUNATH
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SocietalMisconceptiononWomen'sCharacterForTalkingToMen: किसी की लड़की को कैरक्टरलेस कहने में आजकल कुछ सेकंड का समय भी नहीं लगता और उसके पीछे का रीजन बहुत बार केवल लड़कों से बात करना होता है और आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे ऐसी मेंटालिटी किसी रीजन से आती है

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क्या केवल लड़कों को दोस्त बनाने से एक लड़की के कैरक्टर पर उंगली उठाना सही है?

जीवन में एक इंसान किसी को दोस्त तभी बनाता है जब कोई उनके करीब होता है, समाज में हमेशा दोस्तों को भी उनके जेंडर के हिसाब से बाँट दिया जाता है यदि एक लड़की के बहुत से लड़के दोस्त हों तो उसे समाज में एक ऐसी लड़की का दर्जा दिया जाता है जिसमें बहुत सारी बुराई भरी हुई हैं आसान भाषा में कहा जाए तो "कैरक्टरलेस", पर क्या यह सही है और इसकी क्या वजह है आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि किसी रीजन से केवल लड़कियों के लड़के दोस्त बनाने के कारण से उनके कैरेक्टर पर उंगलियां उठ जाते हैं

मिसकनसेप्शन और स्टीरियोटाइप

समाज में पहले से ही यह मिसकनसेप्शन बना दिया गया है कि एक लड़का और एक लड़की के बीच में कभी साधारण बातें नहीं हो सकती हैं और यह अज्यूम कर लिया जाता है कि उनके बीच में जो भी इंटरेक्शन होगा वह किसी गलत इंटेंशन को लेकर ही होगा जबकि इस नज़रिया को लेकर सब के बारे में सोचना बहुत गलत है, हर एक इंसान का व्यक्तित्व अलग होता है और उन्होंने अपने जीवन में एक अलग बाउंड्री सेट करी होती है समाज के कुछ अवधारणाओं को हमें इग्नोर करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए

जेंडर रोल्स

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समाज में पहले से ही फीमेल और मेल का काम, रहन-सहन सब कुछ बांट दिया गया है उनके अनुसार महिलाओं को हमेशा रिजर्व होना चाहिए, कोई महिला किसी भी पुरुष के साथ खुलकर इंटरेक्शन नहीं कर सकटी है यदि वह इंटरेक्शन कर रही है तो उसका भी कोई गलत मतलब ही होगा यहां तक की पुरुषों से ऊंची आवाज में बात करना, हंस कर बात करना यह सभी चीज किसी गलत दिशा की ओर संकेत करता है जबकि उनका यह जानना बहुत जरूरी है कि जहां सब कुछ डेवलप हो रहा है तो उनकी इस सोच को भी डेवलप करना बहुत ज्यादा जरूरी है 

जरूरतहैजागरूकताकी

अब बहुत से क्षेत्रों में महिलाएं और पुरुष मिलकर कार्य करते हैं और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट भी कॉ-एड है, ऐसी स्थिति में लोगों का यह समझना बहुत जरूरी है इंटरेक्शन काम के लिए भी हो सकता है और आम दोस्ती के लिए भी, हमेशा हर एक स्थिति को किसी पार्टिकुलर इंसान पर डाल देना उस इंसान के लिए और खुद के व्यक्तित्व के लिए भी गलत होता है इसलिए कोशिश करना चाहिए कि हमें हर परिस्थिति में एक पॉजिटिव नजरिया लेकर चलना चाहिए किसी भी चीज को देखकर तुरंत जांच कर लेना एक गलत पर्सपेक्टिव बनता है और हमेशा केवल महिलाओं और लड़कियों के कैरक्टर पर बात करने से पहले अपने विचारों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है