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Women's Choice: क्यों हम छोटी उम्र से ही लड़कियों को मर्जी के कपड़े पहनने से रोकते हैं?

हम बचपन से ही औरतों को कहने लग जाते हैं कि तुम्हें ऐसे ही कपड़े पहने हैं। अपनी मर्जी के कपड़े पहनने के लिए बहुत सारी औरतों को खुद के लिए लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं। हमारे समाज में बहुत सारी लड़कियां आज भी अपने मनपसंद कपड़े नहीं पहन सकती।

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Rajveer Kaur
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Women choice

Image Credit: The Indian Express

Society Should Stop Controlling What A Women Should Wear: अगर आप लोगों से जाकर यह पूछेंगे कि औरतों के पास आजादी है या नहीं तो ज्यादातर जवाब आपको यही मिलेगा कि उनके पास आजादी है। यह पूरी हकीकत नहीं है। यह एक भ्रम है जिसमें हम सब जी रहे हैं। हमें लगता है कि अब औरतों के साथ गलत नहीं होता है। वह अपनी मर्जी की जिंदगी व्यतीत कर रही हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इन औरतों की संख्या कितनी है? आज भी देश में औरतों का एक बड़ा हिस्सा गुलामी की जिंदगी जी रहा है। उन्हें हर काम करके मर्दों से पूछ कर करना पड़ता है। उनके पास एजुकेशन नहीं है, पीरियड प्रोडक्ट्स नहीं है, सुरक्षित माहौल नहीं है और अपनी मन की बात कहने की इजाजत नहीं है तो यह कहना गलत है कि औरतें पूरी तरह से आजाद है।

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क्यों हम छोटी उम्र से ही लड़कियों को मर्जी के कपड़े पहनने से रोकते हैं?

जब बात किसी महिला के कपड़ों की आती है तो सबसे पहले उसका चरित्र जज किया जाता है। अगर एक औरत ने छोटे कपड़े पहने हैं तो जरूर उसका चरित्र साफ नहीं है। उसके ज्यादा लड़कों से अफेयर हो सकते हैं, वह क्लब जाती हो सकती है और ऐसा भी हो सकता है कि वह ड्रिंक भी करती हो। यह सब हम अपने मन में सोचते हैं। अगर वहीं एक औरत ने ढके हुए कपड़े पहने हैं या ट्रेडिशनल कपड़े पहने हैं तो उसकी सोच पुरानी है, वह पढ़ी-लिखी नहीं हो सकती, उसके ख्याल पुराने हो सकते हैं, उसे अंग्रेजी नहीं आती होगी या गांव की होगी। यह कसूर हमारी परवरिश का है। हमें यही सिखाया जाता है। अपनी पसंद के कपड़े पहनने की आजादी सबको है लेकिन औरतों को नहीं है। 

हम बचपन से ही औरतों को कहने लग जाते हैं कि तुम्हें ऐसे ही कपड़े पहने हैं। अपनी मर्जी के कपड़े पहनने के लिए बहुत सारी औरतों को पहले फाइनेंशियल इंडिपेंडेंट होना पड़ता है और खुद के लिए लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं। हमारे समाज में बहुत सारी लड़कियां आज भी अपने मनपसंद कपड़े नहीं पहन सकती। घर के मर्द इस बात का फैसला लेते हैं कि महिलाओं को कौन से कपड़े पहने हैं और कौन से नहीं। वहीं पुरषों के लिए कोई नहीं डिसाइड करता कि उन्हें क्या पहनना चाहिए।

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इसमें समाज का बहुत बड़ा रोल है। हमें अब रुकना चाहिए। महिलाओं को आजादी से जिंदगी को जीने देना चाहिए। अगर आपकी लड़की अपनी ख्वाइश बता रही है कि उसे क्या अच्छा लगता है तो इसका मतलब वह बिगड़ी नहीं है। आपको अपनी लड़कियों को उड़ने देना चाहिए न कि उनके पर काटने की सोच रखनी चाहिए। अगर आपकी लड़की अपनी मर्जी से कपड़े पहन रही है तो वह उसका हक है। इसमें वो कुछ भी गलत नहीं कर रही है।

Society Stop Controlling What A Women Should Wear:
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