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समाज में परफेक्ट लड़की की डेफिनेशन क्या है?

समाज के वह चार लोग जो सबको जज करते हैं उनके लिए गुड गर्ल की डेफिनेशन कुछ अलग ही होती है, जो कभी उसे धारण से लड़कियों को आगे बढ़ने ही नहीं देते बहुत सारी चीजों में लड़कियों पर रोक लगाकर बी घोषित कर देते हैं कि यह लड़की गुड गर्ल है

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B LIPSA RAGHUNATH
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Women(Blgobranz)

What Is A Good Girl According To Society? (image credit - Blgobranz)

What Is A Good Girl According To Society?समाज के वह चार लोग जो सबको जज करते हैं उनके लिए गुड गर्ल की डेफिनेशन कुछ अलग ही होती है, जो कभी उसे धारण से लड़कियों को आगे बढ़ने ही नहीं देते बहुत सारी चीजों में लड़कियों पर रोक लगाकर बी घोषित कर देते हैं कि यह लड़की गुड गर्ल है।

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समाज में परफेक्ट लड़की की डेफिनेशन क्या है?

परफेक्ट लड़की की डेफिनेशन वह होनी चाहिए जो अच्छे से अपने एजुकेशन ले, अपने करियर पर ध्यान दें और अपने फ्यूचर को आगे देख कर चले पर समिति के लिए अच्छी लड़की की डेफिनेशन कुछ और ही होती है जो आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे।

समय से शादी कर लेना

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लड़की का करियर अच्छे से बनेगा ना बने शादी के लिए लड़की को रोटी अच्छे से बनाना आने चाहिए, करियर के लिए लड़की कितना पढ़ना चाहती है कितना नहीं वह ध्यान न देकर शादी के लिए ज्यादा उत्सुकता सब में दिखती है और जो लड़की जल्दी शादी कर ले वह समाज के लिए एक अच्छी लड़की का उदाहरण बन जाती है।

पूरे कपड़े पहनना

कपड़ों पर विवाद जितना बनाया जाए उतना कम होगा, ज्यादातर लोग लड़कियों के कपड़ों से ही परेशान रहते हैं समाज के लिए जिस लड़की ने पूरे कपड़े पहने हैं वह बहुत अच्छी लड़की है और जिसने उनसे कम पहने हैं उसे सुधारने की बहुत जरूरत है।

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ज्यादा जोर से नहीं हंसना

लड़कियों के लिए हर एक चीज में एक सीमा निर्धारित कर गया है कि वह इस सीमा के अंदर ही हंसेंगी और बोलेंगे अगर उससे ज्यादा आवाज में अगर उन्होंने कुछ भी बोला या हंसने लगी तो उन्हें अपने बिहेवियर में चेंज लाना बहुत जरूरी होगा क्योंकि शुरुआत से ही बताया जाता है की अच्छी लड़कियां ज्यादा तेज आवाज में नहीं हंसती और ना ही जोर से बातें करती हैं।

सही से बैठना

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अपने मन को मार के दूसरों के हिसाब से बैठना बोलना और सुना बहुत ही मुश्किल होता है पर लड़कियों को शुरुआत से ही यह करना पड़ता है और उनको स्टार्टिंग से ही सिखाया जाता है अगर अपने मन से भी लड़की बैठना चाहती है तो उसको भी यही बताया जाता है की लड़कियां अच्छे से कैसे बैठी हैं अगर लड़कियां वैसे नहीं बैठेंगे तूने गलत घोषित कर दिया जाएगा।

अपना ओपिनियन ना बताना

सबको अपने ओपिनियन बोलने का अधिकार होता है पर जब भी पुरुष की जगह कोई स्त्री अपना ओपिनियन बोलने जाती है तो उन्हें जज करने के लिए बहुत सारे लोग आ जाते हैं और उन्हें एक अच्छी लड़की का दर्जा भी नहीं दिया जाता।

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