Advertisment

सुप्रीम कोर्ट का तलाकशुदा महिला के हक में फैसला लेकिन कब महिलाएं होंगी आर्थिक रूप से सशक्त

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ कोई नाराजगी नहीं है लेकिन यहां पर सामाजिक ढांचे के ऊपर सवाल उठाने की जरूरत है जो महिलाओं को पुरुषों के ऊपर बिल्कुल ही निर्भर बना देता है।

author-image
Rajveer Kaur
New Update
Supreme Court(Punjab Kesari)

Image Credit: : Punjab Kesari

When Will Women Achieve Financial Independence Despite The Supreme Court's Ruling Favoring Divorced Women? 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह फैसला सुनाया गया कि तलाकशुदा महिलाएं गुजारा भत्ता की हकदार हैं। दरअसल यह फैसला एक याचिका के ऊपर सुनाया गया है। तेलंगाना के एक युवक मोहम्मद अब्दुल समद की तरफ से तेलंगाना हाईकोर्ट में निचली कोर्ट (Lower Court) के आदेश को चुनौती दी गई जिसमें यह कहा गया था उसे अपनी पत्नी को गुजारा करने के लिए भी ₹20,000 की राशि देनी होगी। हाईकोर्ट की तरफ से इस राशि को घटाकर ₹10,000 कर दिया गया लेकिन मामाला यहां रुका नहीं। इसके बाद यह सुप्रीम कोर्ट में गया। 

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट का तलाकशुदा महिला के हक में फैसला लेकिन कब महिलाएं होंगी आर्थिक रूप से सशक्त

अब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने  पति से आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता मांग सकती है। इसके साथ ही गुजारा भत्ता मांगने का कानून सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होता है। इसका धर्म के साथ कोई लेना-देना है। इसके आगे सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह गुजारा भत्ता किसी दान की तरह नहीं है बल्कि महिलाओं का मौलिक अधिकार है। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ कोई नाराजगी नहीं है लेकिन यहां पर सामाजिक ढांचे के ऊपर सवाल उठाने की जरूरत है जो महिलाओं को पुरुषों के ऊपर बिल्कुल ही निर्भर बना देता है। बहुत सारी महिलाएं इस कारण टॉक्सिक रिश्ते से नहीं निकल पाती हैं क्योंकि उनके पास आर्थिक आज़ादी नहीं होती है। इसमें महिलाओं की गलती नहीं है क्योंकि हम उन्हें इस तरह बड़ा करते हैं की वो अपने पैरों पर खड़ी न हो पाए। हम उन्हें पति, भाई और पिता पर ही निर्भर बनाते हैं।

Advertisment

अगर महिलाएं आर्थिक रूप से आजाद होंगी तो उन्हें किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वह अपनी जिंदगी को अपने तरीके से व्यतीत कर सकती हैं। उन्हें इसके लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा क्योंकि वे जिस पर भी निर्भर होगी वो उन्हें अपने तरीके से चलाने की कोशिश करेगा। उसका मन होगा तो वह उसे पैसे देगा, नहीं तो महिलाएं हमेशा ही अपनी ख्वाहिशों से वंचित  रहेंगी। अभी भी समय है हम अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बनाएं कि उन्हें शादी के बाद भी पैसे के लिए अपने पति की तरफ ना देखना पड़े और सिर्फ पैसे के कारण उन्हें टॉक्सिक रिलेशन में सरवाइव ना करना पड़े।

Divorced Women Divorced Divorced Muslim Women Supreme Court of India
Advertisment