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छोटे बाल रखने वाली महिलाओं को सोसाइटी क्यों judge करती है?

लंबे बालों को अक्सर स्त्रीत्व की निशानी के रूप में देखा जाता है। इसलिए जब कोई महिला छोटे बाल रखती है, तो यह समाज के उस पारंपरिक ढांचे से अलग माना जाता है।

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Srishti Jha
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Why does society judge women who have short hair: महिलाओं के बालों को लेकर समाज में कई रूढ़िवादी धारणाएं प्रचलित हैं। बाल महिलाओं की पहचान और सुंदरता का प्रतीक माने जाते हैं और लंबे बालों को अक्सर स्त्रीत्व की निशानी के रूप में देखा जाता है। इसलिए जब कोई महिला छोटे बाल रखती है, तो यह समाज के उस पारंपरिक ढांचे से अलग माना जाता है, जिसके चलते उसे कई बार जजमेंट का सामना करना पड़ता है। छोटे बाल रखने वाली महिलाओं को लेकर समाज में अनेक भ्रांतियां हैं और इन्हीं पर हम चर्चा करेंगे।

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छोटे बाल रखने वाली महिलाओं को सोसाइटी क्यों judge करती है?

1. परंपरागत मानदंडों से अलग दिखने के कारण

लंबे बालों को सदियों से महिलाओं की सुंदरता और पारंपरिक स्त्रीत्व का प्रतीक माना गया है। समाज में एक महिला का ‘आदर्श’ रूप यही माना गया है कि उसके बाल लंबे और घने होने चाहिए। जब कोई महिला छोटे बाल रखती है, तो वह इस मानक से अलग दिखाई देती है, जो कई लोगों को असामान्य लगता है और इसे जज किया जाता है।

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2. छोटे बालों को विद्रोह का प्रतीक मानना

कई बार समाज यह समझने में असमर्थ रहता है कि छोटे बाल रखना केवल एक स्टाइल का चयन हो सकता है। इसे विद्रोह के रूप में देखा जाता है, मानो महिला अपने पारंपरिक दायित्वों या सामाजिक अपेक्षाओं के खिलाफ खड़ी हो रही हो। ऐसे में समाज यह मान लेता है कि यह महिला पारंपरिक मूल्यों को नहीं मानती और उसे नकारात्मक दृष्टि से देखा जाता है।

3. पेशेवर या आधुनिक दृष्टिकोण का संकेत

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छोटे बाल रखने वाली महिलाओं को अक्सर पेशेवर, आत्मनिर्भर और आधुनिक विचारधारा से जुड़ा समझा जाता है। समाज में अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि महिलाओं का स्थान घर के अंदर ही सीमित है और इस सोच के विपरीत कोई महिला जब छोटे बालों के साथ पेश आती है, तो उसे जज किया जाता है क्योंकि वह इन रूढ़िवादों को चुनौती देती प्रतीत होती है।

4. पारिवारिक या सामाजिक दबाव

कई बार महिलाओं को छोटे बाल रखने पर उनके परिवार या मित्रों से भी जजमेंट का सामना करना पड़ता है। छोटे बाल रखने पर यह सवाल उठाए जाते हैं कि क्या महिला पर्याप्त रूप से 'फेमिनिन' है या वह समाज द्वारा निर्धारित भूमिका में फिट बैठती है या नहीं। इस प्रकार की सोच महिलाओं पर एक प्रकार का दबाव डालती है।

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5. महिला की व्यक्तिगत पसंद का अनादर

समाज अक्सर यह भूल जाता है कि किसी महिला का छोटे बाल रखना उसकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है। महिलाओं के बारे में यह धारणा बनाई जाती है कि उनकी प्राथमिकता हमेशा सुंदरता और आकर्षक दिखने के इर्द-गिर्द घूमती है। छोटे बाल रखने वाली महिलाएं अक्सर इस अपेक्षा से परे होती हैं, जिसके कारण समाज उनके इस फैसले को जज करता है और उनकी पसंद का अनादर करता है।

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