Why We Mostly Judge Women Choices Wrongly: समाज में हर के व्यक्ति की अपनी पसंद नापसंद होती है। हर कोई अलग-अलग तरीके से चीजों को पसंद करता है हर व्यक्ति की अपनी अलग थिंकिंग होती है क्योंकि भगवान से भी सबको अलग-अलग बनाया है सबके अपने विचार अलग होते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। लेकिन समाज महिलाओं की हर पसंद नापसंद को गलत तरीके से जज करता है। महिलाओं को उनकी पसंद के लिए उनके पहनावे के लिए यहाँ तक कि उनके लाइफस्टाइल के लिए भी जज किया जाता है। आखिर ऐसा क्यों है कि उन्हें हर एक चीज के लिए गलत तरीके से लोग जज करते हैं। आखिर लोगों को महिलाओं की हर एक चीज से प्रॉब्लम क्यों है वे अगर ठीक से रहती हैं तो भी नहीं रहती है तो भी ऐसा क्यों होता है।
आइये जानते हैं कि कैसे महिलाओं की पसंद के लिए लोग उन्हें जज करते हैं
1. कपड़ों को लेकर
महिलाओं को हमेशा उनके कपड़ों को लेकर जज किया जाता है। छोटे कपरे पहने तो प्रोवोकिंग है पूरे कपड़े पहनें तो कितनी ओल्ड स्कूल है। आखिर महिलाओं को उनकी चॉइस के लिए इतना ज्यादा जज क्यों किया जाता है। ये उनकी चॉइस है कि वे क्या पहनना चाहती हैं।
2. बालों को लेकर
महिलाओं को अक्सर उनके बालों के हिसाब से लोग जज करते हैं कि अगर उनके बाल छोटे हैं तो उन्हें बोला जाता है कि वो लड़कों जैसी दिखती है और यदि वो एक अच्छी लम्बी छोटी बना लें तो उनके लिए बहनजी टाइप्स वर्ड्स का इस्तेमाल किया जाता है।
3. मेकअप को लेकर
महिलाओं को उनके मेकअप को लेकर अक्सर लोग जज करते हैं वो ज्यादा ब्राइट मेकअप करती हैं तो उन्हें आइटम जैसे शब्द से संबोधित किया जाता है और अगर बहुत कम मेकअप करती हैं तो उन्हें यह कह दिया जाता है कि अरे वो तो कितनी सिंपल है अच्छी ही नहीं दिखती।
आखिर ऐसा क्यों होता है समाज महिलाओं को उनकी चॉइस के लिए क्यों नहीं रहने देता। वो उनकी पसंद है कि वो कैसे रहना चाहती हैं वो मेकअप करना चाहती हैं या नहीं उनकी चॉइस है। वो अपने बॉडी हेयर्स को सेव करना चाहती हैं या नहीं करना चाहती हैं यह उनका डिसीजन होता है। उसके लिए हम उन्हें जज क्यों करते हैं। वे लिपस्टिक नहीं लगाना चाहती है या रेड लिपस्टिक लगाना चाहती हैं यह सब उनकी मर्जी है। लोग उन्हें इन बातों के लिए क्यों जज करते हैं। आखिर महिलाओं को उनके डिसीजन के लिए कब तक जज किया जाता रहेगा। महिलाओं को अपने हिसाब से अपनी स्वतंत्रता से जीने का अधिकार है तो फिर उनके चॉइस और ओपिनियन के लिए उन्हें समाज कब तक जज करता रहेगा। आइये जानते हैं महिलाओं को जज करने के कुछ करणों के बारे में।
जानिए महिलाओं को सोसाइटी द्वारा जज किये जाने के कुछ कारण
1. लिंग रूढ़ियाँ
रूढ़िवादिता इस विश्वास को जन्म देती है कि महिलाओं को कुछ निश्चित तरीकों से व्यवहार करना चाहिए या विशिष्ट विकल्प चुनना चाहिए और इन अपेक्षाओं से बदलाव वाले निर्णय करने वाली महिलाओं को आलोचना का सामना करना पड़ता है।
2. दोहरे मानक
महिलाओं को दोहरे मानकों का सामना करना पड़ सकता है। जहां उनकी पसंद को उनके हिसाब से नहीं बल्कि पुरुषों के हिसाब से देखा जाता है। जिन कार्यों के लिए पुरुषों के लिए प्रशंसा की जाती है उन्हीं के लिए महिलाओं को आलोचना का सामना करना पड़ता है।
3. स्वायत्तता का अभाव
ऐतिहासिक समय से ऐसा देखा गया है कि अक्सर महिलाओं की ओर से निर्णय दूसरों द्वारा लिए जाते हैं। जैसे कि परिवार के पुरुष सदस्य या बड़े पैमाने पर समाज। आधुनिक समय में भी इस मानसिकता के अवशेष हैं और इसलिए महिलाओं की पसंद को कम वैध या तर्कसंगत माना जाता है।
4. सामाजिक अपेक्षाएँ
जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे परिवार, करियर या पर्सनल एक्टिविटीज में महिलाओं की भूमिकाओं के बारे में सामाजिक अपेक्षाएँ उनकी पसंद को आंकने के तरीके को जज करती हैं। पारंपरिक मानदंडों को चुनौती देने वाले विकल्पों को विरोध या गलतफहमी का सामना करना पड़ सकता है।
5. प्रतिनिधित्व का अभाव
सत्ता और अधिकार वाले पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम होता है। जिसकी वजह से भी उनके दृष्टिकोण और विकल्पों को कम समझा या महत्व दिया जाता है, जिससे जज करने की भावना बढ़ती है।