Why Is Awareness About Postpartum Depression Important: पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक बहुत ही असली चीज़ है ना की सिर्फ बातें बनाने वाली कोई टॉपिक। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसपर आज भी ठीक से बात नहीं की जा रही है और वो भी इसलिए क्यूंकि पहले कभी किसी ने नहीं इसे ठीक से उठाया नहीं। पोस्टपार्टम यानि के बच्चे को जन्म देने के बाद माँ का समय। यह एक बहुत ही स्ट्रेस्फुल और थका देने वाला समय होता है जिसमे औरतें कईं तरीकों से बिलकुल ही परेशान, थकी हुई और अकेला महसूस करने लगती है और अपने मानसिकता से ना जीत पाने के कारन पोस्टपार्टम डिप्रेशन का भी शिकार हो जाती हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पुरे दुनिया में यह एक गंभीर मुद्दा है जिसपे चर्चा उठाना और उसका इलाज और उपाय ढूंढना बहुत ही ज़रूरी हो चुका है लेकिन आज भी नहीं होता है यह। ऐसा क्यों? आइये जाने क्यों ज़रूरी हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में बात करना।
Postpartum Depression: क्यों ज़रूरी है इसके बारे में बात करना?
पोस्टपार्टम के समय एक औरत का पूरा जीवन बदल जाता है और उनके पहले के जीवन से अलग हो जाता है। उनका सारा ध्यान बच्चे और उसके पालन पोषण की ओर आ जाता है और महिला बाकी से दुनिया से कटने भी लगती है जिससे और भी अकेलापन हो जाता है जिससे लड़ना मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय में माँ का देखभाल करना बहुत ही अनिवार्य है ताकि वो उस परिस्तिथि से जल्द से जल्द निकल पाए और खुदको संभल पाए और बच्चे पर भी ठीक से ध्यान दे पाए।
पोस्टपार्टम के वक़्त माँ का ज़्यादा ख्याल रखें और अधिक प्रेम और सत्कार करें क्यूंकि वह उसकी पूर्ण रूप से अधिकारी होती है। चाइल्ड बर्थ एक बहुत ही पवित्र और मुश्किल काम होता है जिसके लिए महिलाओं को उतना क्रेडिट नहीं मिलता जितना उन्हें मिलना चाहिए। एक माँ की ख़ुशी के पीछे कभी कभी एक महिला का दुःख छुप ज़रूर जाता होगा लेकिन शायद खतम ना हो पाए इसलिए ऐसे समय पर महिलाओं का इलाज भी अनिवार्य है और हमें इस बारे अब बात करना और लोगो को समाज को जागरूक बनाना बहुत ज़रूरी है।