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बच्चों को स्कूल में Sex Education देना क्यों है ज़रुरी?

ओपिनियन: आज के समय में टेक्नोलॉजी इस कदर हमारे जीवन पर हावी हो चुकी है कि बच्चों को अपनी उम्र से कुछ ज्यादा एक्सपोजर मिल रहा है, इसलिए आज अनिवार्य रूप से सेक्स एजुकेशन की मांग बहुत जरूरी है।

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Ruma Singh
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Sex education

( Credit Image: File Image)

Why Is It Important To Give Sex Education To Children In School? भारत में सेक्स एक ऐसा विषय है। जिस पर खुलकर कभी बात नहीं की जाती है। यही वजह है कि हमारे बीच सेक्स एजुकेशन को लेकर कई ऐसे टैबूज मौजूद हैं और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है हमारे देश में मौजूद रूढ़िवादी सोच। इस रूढ़िवादी सोच के कारण आज भी कई ऐसे भारतीय परिवार हैं, जहां सेक्स एक निषेध विषय है। जिस पर चर्चा तो दूर नाम लेना भी पाप के श्रेणी में आता है। आज के समय में टेक्नोलॉजी इस कदर हमारे जीवन पर हावी हो चुकी है कि बच्चों को अपनी उम्र से कुछ ज्यादा एक्सपोजर मिल रहा है, इसलिए आज अनिवार्य रूप से सेक्स एजुकेशन की मांग बहुत जरूरी है और इसकी शुरुआत स्कूलों से होनी चाहिए। भारत के ज्यादातर स्कूलों में इसको महत्व नहीं दिया जाता है। हालांकि, हमें अपनी भारतीय संस्कृति पर गर्व है लेकिन समय के साथ इस संस्कृत में थोड़ी बहुत बदलाव भी जरूरी है। बता दें कि यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट के मुताबिक केवल 20 फ़ीसदी देश में ही सेक्स एजुकेशन को लेकर कानून मौजूद हैं।

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क्यों है जरूरी बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना?

हम जिस समाज में रहते हैं। वहां सेक्स को इंटरकोर्स तक ही सीमित कर दिया जाता है। इसके अलावा सेक्स को इतनी तवज्जो भी नहीं दी जाती। अक्सर आपने अपने घरों में देखा होगा कि जब भी बच्चे पूछते हैं कि यह बच्चे कैसे आते हैं तो इस पर प्रतिक्रिया के तौर पर हमेशा चुप्पी ही प्राप्त होती है। शुरू से ही सेक्स एजुकेशन से बच्चों को दूर रखा जाता है जो कि गलत है, क्योंकि जब बच्चों में प्यूबर्टी 12 से 13 साल की उम्र में शुरू हो जाती तो ऐसे में जितनी जल्द हो सके बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना जरूरी हो जाता, जो उनके सेक्सुअल हेल्थ और रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं और इसी दौरान उन्हें अपने शरीर में हो रहे बदलाव को जानने का भी मौका मिलता है और इसकी पहल स्कूल के पाठ्यक्रम में इसे शामिल कर करना चाहिए। हालांकि, इसकी जिम्मेदारी सिर्फ स्कूलों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। बल्कि अपने बच्चों को सेक्स की प्रति सही जानकारी उपलब्ध कराना पेरेंट्स का भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, ताकि युवा सेक्स को लेकर इंटरनेट पर मौजूद गलत जानकारी इकठ्ठे करने से बच पाएं, क्योंकि आज टेक्नोलॉजी के जमाने में अक्सर बच्चे गलत सामग्री के प्रति जल्द आकर्षित हो जाते हैं। सर्वे के मुताबिक भारत में 27 फ़ीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती हैं और 11 फीसदी टीनएज लड़कियां मां बन जाती हैं। वहीं 71 फ़ीसदी लड़कियों को पीरियड्स आने के पहले तक नहीं पता होता कि आखिर पीरियड्स क्या होते हैं। यह सारे आंकड़े इस बात पर जोर डालते हैं कि बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना कितना जरूरी है। 

सेक्स एजुकेशन से बच्चों में क्या बदलाव आएंगे?

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  • सेक्स एजुकेशन से युवाओं में सेक्स को लेकर जानकारियां बढ़ेगी। इससे उन्हें पता चलेगा कि सेक्स में सहमति का होना कितना आवश्यक है और इनकार में बनाए गए संबंध गलत होते हैं।
  • सेक्स को लेकर कभी खुलकर बात नहीं की जाती। यहीं वजह है कि सेक्स को बंद कमरे के अंदर गलत अंजाम दिए जाते हैं, जो कि सेक्स एजुकेशन देने से ही सुधार आ पाएगा।
  • रिपोर्ट के मुताबिक पहला सेक्स अधिकतर असुरक्षित होता है। यही कारण है कि लोग एसटीडी, एचआईवी या ऐड्स, प्यूबिक लाइस जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। जिससे सेक्स एजुकेशन के माध्यम से ही सेक्स के प्रति सही जानकारी प्राप्त हो पाएगी। 
  • सेक्स एजुकेशन से पुरुषों की मानोस्थिति में भी सुधार आएगा। साथ ही महिलाएं अपने प्रति हो रहे यौन अपराध के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश करेंगी। 
  • सेक्स एजुकेशन से युवाएं इंटरनेट पर मौजूद गलत जानकारी के ज्ञान लेने से बचेंगे और वहीं पुरुषों को महिलाओं को देखने का नजरिया भी बदलेगा।
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