Why Is The Number Of Women In Parliament Still Less Than Men?:इसमें कोई शक नहीं है कि सदियों से राजनीति में पुरुषों का दबदबा रहा है लेकिन अभी भी भारत में हालातो में कुछ ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। आज भी महिलाओं की पार्लियामेंट में भागीदारी बहुत कम है और अगर कैबिनेट में बात की जाए तो तब भी महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम ही है। यह एक चिंताजनक स्थिति है। सोचने वाली बात यह है कि राजनीति में महिलाओं की समान भागीदारी कब होगी? कब हम कह पाएंगे कि हमारे देश में मर्द और पुरुष हर स्तर पर बराबर है? आज हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे कि क्यों अभी भी महिलाओं की भागीदारी काम है?
क्यों संसद में अभी भी महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कम?
इस साल लोकसभा के चुनाव हुए जिसका रिजल्ट 4 जून को आया। इस बार एनडीए (NDA) की सरकार बनी और श्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री चुना गया। इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ और नए मंत्रिमंडल की घोषणा की गई। अब आप महिलाओं की संख्या सुनकर हैरान हो जाएंगे। आपको बता दे कि नए मंत्रिमंडल में 72 सदस्यों को चुना गया जिसमें महिलाओं की संख्या सिर्फ 7 हैं और सिर्फ दो महिलाएं कैबिनेट पद पर हैं। इसके साथ ही अगर हम महिला सांसदों की बात करें तो 797 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को खड़ा किया गया था जिसमें सिर्फ 74 को जीत मिली है। पिछली बार कि चुनाव की बात की जाए तो इस बार महिलाओं की संख्या में कमी आई है। 2019 में 78 महिला सांसदों ने जीत हासिल की थी लेकिन वहीं 2014 में इनकी संख्या कम होकर 74 हो गई है।
इसके लिए सबसे बड़ा दोष पितृसत्ता सोच को जाता है जहां पर महिलाओं को कम समझ जाता है। ऐसा समझा जाता है कि महिलाएं को राजनीति नहीं समझ सकती हैं। उनमें इतना दिमाग नहीं होता है। हमें इस पितृसत्ता को सोच को बदलना होगा लेकिन ऐसा करना इतना आसान नहीं है क्योंकि ऐसी सोच लोगों के दिमाग में घर कर चुकी है। इसे निकालने के लिए एजुकेशन का सहारा लेना पड़ेगा। इसके साथ ही रूढ़िवादिता भी एक बड़ा कारण है जो महिलाओं को राजनीति में पीछे ढकेलती है। ऐसा समझा जाता है कि पुरुष घर से बाहर जाकर काम करेंगे और महिलाएं घर पर रहकर खाना बनाएंगी और बच्चों की परवरिश करेंगी।
ऐसी सोच के कारण भी लोग में महिलाओं को राजनीति में जाने नहीं देंगे। उन्हें लगता है कि राजनीति महिलाओं के लिए नहीं है. इसके साथ ही बहुत सारी महिलाओं को शिक्षा ही नहीं मिलती है। उन्हें घर से बाहर ही नहीं निकाला जाता है। उनकी शादी छोटी उम्र में ही कर दी जाती है। इसके बाद बच्चे हो जाते हैं जिसके कारण वह कभी कुछ एक्स्ट्रा सोच नहीं पाती है। उनका आत्मविश्वास बहुत गिर जाता है। महिलाओं की सुरक्षा भी एक बड़ा कारण है तो कुल मिलाकर अभी भी हमारे समाज में ऐसा माहौल नहीं है जहां पर महिलाएं अपने डिसीजन खुद ले सके। उन्हें हमेशा हर काम के लिए पीछे ही रखा जाता है और उन्हें कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है। जब तक हम सोच नहीं बदलेंगे तब तक स्थिति में सुधार नहीं आएगा।