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Embrace Change: औरत को दोष देने वाली भी अक्सर एक ‘औरत’ ही होती है

हमारे समाज में औरतों के साथ होने वाले भेदभाव और अन्याय की समस्या बहुत गहरी है। यह समस्या केवल पुरुषों के कारण नहीं है, बल्कि कई बार खुद औरतें भी इसके लिए जिम्मेदार होती हैं। एक औरत को दोष देने वाली पहली शख्स भी अक्सर एक 'औरत' ही होती है।

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Dibya Debasmita Pradhan
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Women blame women

Image Credit: Diya aur Bati Serial

The Harsh Reality of Women Blaming Women: हमारे समाज में औरतों के साथ होने वाले भेदभाव और अन्याय की समस्या बहुत गहरी है। यह समस्या केवल पुरुषों के कारण नहीं है, बल्कि कई बार खुद औरतें भी इसके लिए जिम्मेदार होती हैं। एक औरत को दोष देने वाली पहली शख्स भी अक्सर एक 'औरत' ही होती है। यह एक गंभीर सामाजिक मुद्दा है, जिसे समझना और उसका समाधान ढूंढना बेहद आवश्यक है।

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Embrace Change: औरत को दोष देने वाली भी अक्सर एक ‘औरत’ ही होती है

अक्सर देखा जाता है कि घर की बड़ी औरतें जैसे माँ, दादी या सास, छोटी औरतों पर ज्यादा कड़े नियम थोपती हैं। वे उनसे उम्मीद करती हैं कि वे समाज के तय किए गए मानदंडों का पालन करें। यह रवैया पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है, जिससे बदलाव की संभावना कम हो जाती है। घर में अगर किसी प्रकार की परेशानी होती है, तो सबसे पहले बहू को दोष दिया जाता है, चाहे वह आर्थिक स्थिति से जुड़ी हो या पारिवारिक तनाव से।

तेरी ही गलती होगी

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समाज की सांस्कृतिक धारणाएं औरतों पर बहुत बड़ा दबाव डालती हैं। इन धारणाओं को बढ़ावा देने में औरतों की भी भूमिका होती है। वे चाहती हैं कि सभी औरतें उन्हीं धारणाओं का पालन करें, जिससे उन्हें समाज में स्वीकृति मिल सके। अगर किसी लड़की के साथ दुष्कर्म होता है, तो सबसे पहले उसकी माँ, दादी, या अन्य महिलाएँ ही उसे दोष देती हैं, यह कहते हुए कि "तूने ही कुछ किया होगा”।

पति के किसी अन्य महिला के साथ संबंध होने पर पत्नी अक्सर उस दूसरी महिला को दोषी ठहराती है, यह सोचते हुए कि "पक्का उसने ही कुछ किया होगा"। इस प्रकार के रवैये से महिलाओं के बीच की एकता और सहयोग की भावना कम हो जाती है।

औरतों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना भी एक बड़ा कारण हो सकता है। चाहे वह नौकरी हो, घर का काम हो या समाज में प्रतिष्ठा, कई बार औरतें एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करती हैं। इससे न केवल रिश्ते खराब होते हैं, बल्कि एकता और समर्थन की भावना भी कम हो जाती है।

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कई बार औरतें खुद को सुरक्षित रखने के लिए दूसरी औरतों को दोषी ठहराती हैं। उन्हें लगता है कि यदि वे दूसरी औरतों की आलोचना करेंगी तो वे खुद सुरक्षित रहेंगी और समाज में उनकी प्रतिष्ठा बनी रहेगी। इस प्रकार की सोच समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव को और बढ़ावा देती है।

समाधान औरतों के हाथ में

इस समस्या का समाधान भी औरतों के हाथ में है। समाज में औरतों के प्रति भेदभाव और अन्याय की समस्या को दूर करने के लिए औरतों को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्हें अपने भीतर झांककर यह समझना होगा कि वे कैसे एक-दूसरे का समर्थन कर सकती हैं और समाज में अपनी स्थिति को मजबूत बना सकती हैं। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा और एक-दूसरे का समर्थन करते हुए समाज में बदलाव लाना होगा। केवल तभी हम एक सशक्त समाज का निर्माण कर पाएंगे, जहाँ हर औरत को समानता और न्याय मिल सके।

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