Advertisment

Ab Soch Badlo Yaar: शादी में सिर्फ औरतों ही Adjust क्यों करें?

एडजस्टमेंट हर रिलेशनशिप का अहम हिस्सा होता है। हर इंसान अपने पार्टनर से उम्मीद करता है कि वो उनके साथ उतना ही एडजस्ट करे जितना वो उनसे उम्मीद रखता है। लेकिन अगर किसी रिलेशनशिप में एडजस्टमेंट का ज़िम्मा एक ही इंसान पर पड़ जाए तो उसे क्या करना चाहिए?

author-image
Mandie Panesar
New Update
Ab Soch Badlo Yaar (Pinterest).png

Why Should Only Women Adjust In Marriage? (Image Credit: Pinterest)

Ab Soch Badlo Yaar: एडजस्टमेंट हर रिलेशनशिप का अहम हिस्सा होता है। हर इंसान अपने पार्टनर से उम्मीद करता है कि वो उनके साथ उतना ही एडजस्ट करे जितना वो उनसे उम्मीद रखता है। लेकिन अगर किसी रिलेशनशिप में एडजस्टमेंट का ज़िम्मा एक ही इंसान पर पड़ जाए तो उसे क्या करना चाहिए? अगर ऐसी स्थिति किसी रिलेशनशिप में शादी के बाद पैदा हो, जिसमें एक इंसान को हो एडजस्ट करना पड़ रहा है तो क्या उसे उस रिलेशनशिप को सिर्फ इसी लिए बचाये रखना चाहिए, क्योंकि सोसाइटी आज भी तलाक को ठीक नहीं मानती। एडजस्टमेंट कहाँ तक ठीक है और कब तक - क्या हमने कभी इसके बारे में सोचा है?

Advertisment

शादी में सिर्फ औरतों ही Adjust क्यों करें?

(Why Should Only Women Adjust In Marriage?)

आज कल की महिलाओं और पुरुषों की शादी को लेकर एक्सपेक्टेशंस और कल्पनाएं बहुत अलग हैं। ज़्यादातर लड़के और लड़कियों के लिए शादी का मतलब है पार्टनरशिप मतलब सांझेदारी।

Advertisment

एक ऐसे पार्टनर की खोज, जो न सिर्फ आपके माता-पिता और सोसाइटी के द्वारा अप्प्रूव किया हो, लेकिन ऐसा साथी जो आपकी सारी एक्सपेक्टेशंस पर खरा उतरता हो और आपकी सारी इच्छाओं को पूरा करने की इच्छा रखता हो। उदाहरण के तौर पर, आज की लड़कियों को घोड़े पर सवार राजकुमार नहीं चाहिए। उन्हें चाहिए एक ऐसा साथी, जो उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलने में गर्व महसूस करे, घर के कामों में उनकी मदद करे, उनके जीवन, रहन-सहन, विचारों पर किसी भी तरह की लगाम न लगाए। इसी के साथ, उनकी मेहनत, काम और कमाई की उतनी ही कदर करे, जितनी वो अपनी करता है। ऐसा पार्टनर जो पत्नी की कमाई की इज्ज़त करे ना कि जलन। 

लेकिन कितनी औरतों को असल में ऐसा पति मिल पाता है? जिन महिलाओं को ऐसा पति मिल भी जाए, उन्हें सोसाइटी अलग ही ट्रीट करती है। उन पतियों को हमेशा यह जताया जाता है कि तुम्हारी पत्नी तुम्हारे बराबर कमाती है या यह समझाने की कोशिश की जाती है कि तुम इतना एडजस्ट करते हो तो तुम बहुत महान हो। लेकिन कितनी औरतों को ऐसे बोला जाता है कि वो इतनी एडजस्टमेंट और सैक्रिफाइस करती है तो वो कितनी महान है? किसी को भी नहीं!

औरतों को तो बचपन से ही सिखाया जाता है कि शादी में एडजस्ट करना ही आपका काम है। आपको अपनी लाइफ में परिवार से ज़्यादा किसी को भी टॉप प्रायोरिटी नहीं समझना है। इसी कारण अपनी शादी और परिवार को बचा कर और संजो कर रखने के लिए आपको कितने भी अड़जस्टमेंट्स करने पड़ें, उतने आपको करने चाहिए। 

Advertisment

Ab Soch Badlo Yaar

शादी में एडजस्टमेंट एक दिन की बात नहीं है। मंथ की सेविंग से लेके रोज़ के 3 वक़्त के खाने तक, घर के कामों से लेकर बच्चों की परवरिश तक। ऐसी कई छोटी-बड़ी बातें होती हैं, जो एक कपल की एडजस्ट करने की क्षमता को रोज़-रोज़ टेस्ट करती है। और जब इन्हीं अड़जस्टमेंट्स को लेकर घर में झगड़े होने लगते हैं तो औरतों को ही समझाया जाता है कि तुम एडजस्ट करलो न। 

इसी मानसिकता के चलते औरतें ऐसी शादियों में फंस के रह जाती हैं, जहाँ सब जगह उन्हें ही एडजस्ट कर के चलना पड़ता है। उन्हें तो यह भी कहा जाता है कि अगर आपकी शादी कमज़ोर पड़ रही है तो वे कहीं न कहीं कोई कमी छोड़ रही हैं और ढंग से एडजस्ट नहीं कर रही हैं, इसी लिए उनकी शादी बिखरने की कगार पर आ चुकी है। 

Advertisment

'शादी को कामयाब बनाने के लिए हर औरत को किसी भी हद तक एडजस्ट करने के लिए तैयार होना चाहिए' - यह सोच बदलने की सख्त ज़रूरत है। किसी भी रिलेशनशिप में एडजस्टमेंट करने की ज़िम्मेदारी एक पार्टनर की नहीं होती, यह बात दोनों पार्टनर्स पर लागू होती है। अगर किसी पुरुष को लगता है कि वो अपने रिलेशनशिप में अपनी पार्टनर से ज़्यादा एडजस्ट या कोम्प्रोमाईज़ कर रहा है तो उसे पूरा हक़ है कि वो यह बात साफ तरीके से उनके सामने रखे। किसी भी औरत को अपने जेंडर के चलते उसे अपने रिश्ते में कोम्प्रोमाईज़ नहीं करना है या अपनी ख्वाहिशों और विचारों का बलिदान नहीं करना है।  

किसको कितना एडजस्ट करना है?

अब एक शादी में किस तरह डिसाईड हो सकता है कि रिश्ते को कामयाब और खुशनुमा बनाने के लिए कहाँ, कितना और कब एडजस्ट करना है। इसके लिए आप बात-चीत कर के अच्छे से सुलझा सकते हैं। अगर आप एक-दूसरे की प्रॉब्लम्स, मजबूरियां और ड्यूटीस को ध्यान से सुनें और उसके हिसाब से फैसला लें तो रिलेशनशिप के ज़्यादा हैल्दी होगा। 

Advertisment

हो सकता है कि इस चीज़ का सोल्युशन हर कपल के लिए अलग-अलग हो लेकिन अगर एक ही इंसान पर पूरा या ज़्यादातर ज़िम्मा आ रहा है तो इसे हम सक्सेसफुल रिलेशन नहीं कह सकते। 

Ab Soch Badlo Yaar Only Women Adjust In Marriage सिर्फ औरतों ही Adjust क्यों करें
Advertisment