Menopause vs Awareness: मेनोपॉज को लेकर इतनी चुप्पी क्यों? क्या ये सिर्फ उम्र बढ़ने की बात है?

मेनोपॉज एक सामान्य जीवन चक्र का हिस्सा है, लेकिन समाज में इसके बारे में चुप्पी क्यों है? इस लेख में जानें मेनोपॉज के शारीरिक और मानसिक प्रभाव, और इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता।

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Vaishali Garg
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Depression

Why the Silence Around Menopause? मेनोपॉज, जिसे हम सामान्यत: रजोनिवृत्ति के नाम से भी जानते हैं, महिलाओं के जीवन का एक महत्वपूर्ण और स्वाभाविक चरण है। लेकिन इस विषय को लेकर समाज में जिस तरह की चुप्पी और संकोच देखा जाता है, वह आश्चर्यजनक है। क्या यह सचमुच सिर्फ उम्र बढ़ने की एक सामान्य प्रक्रिया है या इसके पीछे कहीं न कहीं हमारी समाजिक धारणाएँ और मानसिकता भी काम कर रही हैं?

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मेनोपॉज: क्या है ये सच में?

मेनोपॉज वह अवस्था होती है जब एक महिला का मासिक चक्र समाप्त हो जाता है। यह सामान्यत: 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच होता है। इसे उम्र के एक प्राकृतिक हिस्से के रूप में माना जाता है। लेकिन क्या हम इसे सचमुच एक स्वाभाविक और सामान्य अवस्था के रूप में स्वीकार कर पा रहे हैं?

सामाजिक चुप्पी: क्यों है मेनोपॉज पर बात करना मुश्किल?

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मेनोपॉज को लेकर समाज में एक गहरी चुप्पी है। हमारे समाज में महिलाओं को हमेशा युवा और प्रजनन योग्य माना जाता है, और जैसे ही वे इस अवस्था में प्रवेश करती हैं, उन्हें एक तरह से हाशिये पर डाल दिया जाता है। इस चुप्पी के कारण महिलाओं को मानसिक और शारीरिक बदलावों का सामना अकेले करना पड़ता है, जबकि इस बारे में खुलकर बात की जानी चाहिए।

मेनोपॉज के शारीरिक और मानसिक प्रभाव

मेनोपॉज के दौरान शारीरिक बदलावों का अनुभव करना कोई असामान्य बात नहीं है। हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाएं गर्मी के झटके, रात को पसीना आना, नींद में परेशानी, मूड स्विंग्स और अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना करती हैं। इन सभी प्रभावों को समझना और इनके बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, मानसिक प्रभाव भी होते हैं जैसे कि आत्मविश्वास में कमी आना और समाज की नजरों में बदलाव महसूस करना।

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आखिरकार, क्यों जरूरी है अवेयरनेस?

मेनोपॉज के बारे में खुलकर बात करने से न केवल महिलाओं को इस अवस्था को समझने और स्वीकारने में मदद मिल सकती है, बल्कि इससे परिवार और समाज को भी बेहतर जानकारी प्राप्त हो सकती है। महिलाओं को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के समर्थन की जरूरत होती है, जो जागरूकता के माध्यम से उन्हें मिल सकता है। अवेयरनेस और शिक्षा से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि महिलाएं इस बदलाव से भयभीत न हों और इसे एक सामान्य जीवन चक्र के रूप में समझें।

समाज को बदलने की आवश्यकता

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समाज में इस चुप्पी को तोड़ने की आवश्यकता है। अगर हम मेनोपॉज को लेकर जागरूकता बढ़ाएं और इसे एक सामान्य विषय के रूप में लें, तो महिलाएं इससे अधिक सहज और आत्मविश्वासी महसूस करेंगी। यह सिर्फ महिलाओं का ही मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे समाज का मुद्दा है। हमें इस पर खुलकर बात करनी चाहिए और इसे एक टैबू नहीं, बल्कि एक सामान्य जीवन प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

मेनोपॉज को लेकर बदलाव की जरूरत

मेनोपॉज एक प्राकृतिक और महत्वपूर्ण जीवन चरण है, और इसे लेकर जागरूकता की आवश्यकता है। समाज में इसे लेकर जो संकोच और चुप्पी है, उसे समाप्त करना होगा। जब महिलाएं अपनी इस अवस्था को समझने और स्वीकारने में समर्थ होंगी, तो वे न केवल अपने जीवन में आए बदलावों का बेहतर तरीके से सामना कर पाएंगी, बल्कि समाज भी इसके महत्व को समझेगा और सम्मानित करेगा। यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि इस विषय पर अधिक खुलकर बात करें और इस चुप्पी को तोड़ें।

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