Women Are For Fixing Mens Life: महिला को जन्म से ही मर्दों के लिए बड़ा किया जाता है। छोटी उम्र से ही ऐसा व्यवहार देखने को मिल जाता है। लड़कियों को हमेशा ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है। उन्हें समझदार बनने को कहा जाता है वहीं लड़के को कोई पाठ नहीं पढ़ाया जाता है उसे अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जीने का पूरा मौका दिया जाता है। लड़का अच्छा निकल गया तो पिता को श्रेय जाता है अगर नहीं तो माँ को गलियां कि तुम इसे संभाल नहीं सकती है। उम्र के साथ यह बोझ पत्नी को दे दिया जाता है। आज के इस ब्लॉग में बात करेंगे कि क्या महिलाएं मर्दों का जीवन ठीक करने के लिए होती हैं।
क्या महिलाएं मर्दों की ज़िन्दगी FIX करने के लिए होती हैं?
अक्सर आपने सुना होगा जब लड़का नशे में पड़ जाए या फिर किसी बुरे काम में फंस जाए कहा जाता इसकी शादी कर दो लड़की जीवन में आएगी अपने आप सुधर जाएगा लेकिन असल में कुछ और होता है। लड़के ने अपनी ज़िन्दगी में कुछ ठीक नहीं किया लेकिन लड़की की भी ज़िन्दगी को साथ में टॉक्सिक बना देता है।
परवरिश में कमी
महिलाओं के मुकाबले मर्दों की परवरिश में बहुत कमी होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मर्दों को एकदम खुला छोड़ दिया जाता है और महिलाओं को बिलकुल बाउंड कर लिया जाता है। महिलाओं को अपनी मर्ज़ी या फैसले करने का मौका दिया जाता है। उधर लड़के को कभी भी पास बिठाकर कोई सबक नहीं दिया जाता है, जिसके नतीजे सामने आते हैं।
माँ-बाप की सारी सीख लड़कियों के लिए होती है। लड़को को कभी नहीं कहा जाता है कि तुम्हे लड़की के साथ कैसे पेश आना है। कंसेंट का रोल है। औरतों को हमेशा अपने बराबर समझना है। रिलेशन में कोई बढ़ा या छोटा नहीं होता है। घर के कामों का जेंडर नहीं होता है। सिखाया सिर्फ लड़की को जाता है कैसे पति की सेवा करनी है। कैसे गलत को चुप कर के सहना है। कैसे अपनी ख्वाशियों को मारना है। टॉक्सिक रिश्ते में कैसे सर्वाइव करना है।
लड़कियों की अपनी ज़िन्दगी नहीं होती
महिलाओं की लाइफ कोई कम आसान नहीं होती है जो समाज ये मर्दों को ठीक करने का फंदा उनके गले में डाल देता है। महिलाएं कोई चीज़ें ठीक करने वाली मशीन नहीं है। हमेशा उन पर ही रिश्तों को ठीक करने का बोझ डाला जाता है। कहा जाता है तुम्हारे हाथ में है अगर चाहती तो रिश्ते को ठीक कर सकती हो डिवोर्स की क्या जरुरत थी। जरूर तुम ही ऐसा काम करती होंगी वो तुम्हे मारता है।
शादी दो लोगों की है तो ज़िम्मेदारी भी बराबर होनी चाहिए। महिलाएं भी चाहती हैं उन्हें सुना जाए, समझा जाए। कोई उन्हें भी सिर्फ आम इंसान की तरह देखे। वह सब कुछ नहीं कर सकती। उन्हें भी आराम, सहारे और प्यार की जरूरत है।