PCOS Awareness: किशोरियों में शिक्षा के माध्यम से कैसे PCOS को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है

आज के समय की लड़कियां पहले के मुकाबले अपने शरीर, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल को लेकर ज्यादा जागरूक हो रही हैं। इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण है, शिक्षा और सूचनाओं की आसानी से उपलब्धता।

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Udisha Mandal
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Photograph: (Freepik)

How Education Is Increasing Awareness About PCOS Among Adolescent Girls: आज के समय की लड़कियां पहले के मुकाबले अपने शरीर, स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल को लेकर ज्यादा जागरूक हो रही हैं। इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण है, शिक्षा और सूचनाओं की आसानी से उपलब्धता। खासकर जब बात पीसीओएस यानी (Polycystic Ovary Syndrome) जैसी स्वास्थ्य समस्याओं की हो, तो अब इसे लेकर सभी स्कूलों, सोशल मीडिया, हेल्थ सेशंस और जागरूकता अभियानों के जरिए किशोरियों को इससे जुड़ी सभी तरह की सही जानकारी मिल रही है। जहां पहले के समय में इस विषय पर बात करना भी संकोच से भरा होता था, वहीं अब किशोरियाँ खुलकर इसके लक्षण, असर और उपायों के बारे में जानने और बात करने लगी हैं।

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किशोरियों में शिक्षा के माध्यम से कैसे PCOS को लेकर जागरूकता बढ़ती जा रही है

1. स्कूल में हेल्थ एजुकेशन का प्रभाव

अब कई स्कूलों में स्वास्थ्य और लाइफस्टाइल से जुड़े विषयों को कोर्स का हिस्सा बनाया जा रहा है। हेल्थ सेशंस, वर्कशॉप और सेमिनार के माध्यम से किशोरियों को पीरियड्स, हार्मोनल बदलाव और पीसीओएस जैसे गंभीर विषयों पर जागरूक किया जा रहा है।

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2. डिजिटल माध्यम से जानकारी बढ़ना

इंटरनेट, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और हेल्थ ऐप्स लड़कियों के लिए इन विषयों पर जानकारी के प्रमुख स्रोत बन चुके हैं। वे डॉक्टरों द्वारा बताई गई जानकारी, रियल स्टोरीज और हेल्थ ब्लॉग्स के माध्यम से PCOS के लक्षण, कारण और इससे बचाव के तरीके आसानी से समझ पा रही हैं।

3. शरीर को समझने की कोशिश करना

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शिक्षा किशोरियों को सिर्फ स्कूली ज्ञान नहीं देती, बल्कि यह उन्हें अपने शरीर और उसमें हो रहे बदलावों को समझने की भी क्षमता देती है। किशोरियां अब यह अच्छे से जानती हैं कि अनियमित पीरियड्स, मुंहासे या वजन बढ़ना सिर्फ 'सामान्य' बात नहीं होती, बल्कि इसके पीछे पीसीओएस जैसे कोई भी कारण हो सकता है।

4. बात करने की हिम्मत और स्पेस बनाना

पहले के समय किशोरियां ऐसे विषयों पर बात करने से हिचकिचाती व डरती थीं, लेकिन शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती समझ ने उन्हें अब खुलकर सवाल पूछने और मदद लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। अब वह इन विषयों पर अपनी मां, शिक्षिका या डॉक्टर से खुलकर बात कर सकती हैं।

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5. जीवनशैली में सुधार की समझ लाना

पीसीओएस को मैनेज करने के लिए पोषण, एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट बेहद जरूरी होता हैं। अब किशोरियां संतुलित आहार, योग, और सही नींद की अहमियत को अच्छे से समझ पा रही हैं और यह सही तरह से दी गई शिक्षा के कारण ही संभव हुआ है।

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