Financial Transparency: क्यों रिश्तों में जरूरी हैं आर्थिक मामलों में आपसी मंजूरी

आज के समय में पत्नी भी कमाती हैं या पत्नी भी आर्थिक मामलों में समझ रखती हैं जब पति-पत्नी अपने आर्थिक फ़ैसलें साथ लेते हैं तो आर्थिक स्वायत्ता के साथ-साथ आपसी विश्वास और सम्मान भी बढ़ता हैं। उन्हें आपस में जुड़ा हुआ महसूस होता हैं।

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Nainsee Bansal
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फाइनेंशियल डिसीजन भारतीय परिवारों में अक्सर पति ही लेते हैं, और महिलाएं घर को संभालती हैं। लेकिन आज के समय में पत्नी भी कमाती हैं या पत्नी भी आर्थिक मामलों में समझ रखती हैं लेकिन जब उनसे इस बारे में छुपाया या उन्हें आर्थिक फैसलों का हिस्सा नहीं बनाया जाता तो उन्हें परिवार से अलग महसूस होता हैं। हर रिश्ता अलग होता हैं कुछ रिश्तों में जब पति सारे निर्णय लेते हैं तो उन्हें अधिक स्वतंत्रता महसूस होती हैं, यह उन्हें खुश भी रखता हैं, ऐसे में उन पर आर्थिक निर्णय के मामले न शामिल करना उन्हें प्रभावित नहीं करता हैं।

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लेकिन कुछ रिश्तों में महिलाएं हर फ़ैसलें में शामिल होना पसंद करती हैं, जब वे शामिल होती हैं उन्हें अधिक जुड़ा हुआ और खुश महसूस होता हैं, ऐसे में उन्हें न शामिल किया जाएं तो उनको परिवार से अलग और जुड़ा हुआ महसूस नहीं कर पाती हैं। ऐसे में आवश्यक हैं कि रिश्तों में आर्थिक मामलों में आपसी सहमति में खुल कर बात की जाएं। 

Financial Transparency: क्यों रिश्तों में जरूरी हैं आर्थिक मामलों में आपसी मंजूरी 

तो आइए जानते हैं की आर्थिक मामलों में आपसी मंजूरी क्यों जरूरी हैं :

1. रिश्ता और अधिक विश्वास से बढ़ता हैं 

जब पति-पत्नी अपने आर्थिक फ़ैसलें (Financial Decisions) साथ लेते हैं तो आर्थिक स्वायत्ता के साथ-साथ आपसी विश्वास (Trust) और सम्मान भी बढ़ता हैं। उन्हें आपस में जुड़ा हुआ महसूस होता हैं। साथ ही जब फैसले लिए जाते हैं तो समझ भी बढ़ती हैं, यह एक दूसरे के खर्च और जरूरतों को समझने में मदत करता हैं। जब कपल आपस में पैंसे की जानकारी बताते हैं तो एक दूसरों को समझने में बहुत मदत मिलती हैं, एक दूसरे की प्राथमिकता और रूचियाँ भी पता चलती हैं जिससे आपस में खर्च को भी बैलन्स किया जा सकता हैं। 

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2. फाइनेंशियल स्ट्रेस भी कम होता हैं 

जब पति-पत्नी आपस में सारे आर्थिक फैसले सांझा करते हैं तो खर्च को नियंत्रित करने में और यदि अचानक कोई आर्थिक दबाब आ जाएं तो आपस में रजामंदी से सुलझाया भी जा सकता हैं। आज के समय में परिवार में बहुत तरह के खर्च होते हैं उन्हें आपस में सुलझाने से और बात करने से तनाव भी कम होता हैं और नए रास्ते भी खुल आटे हैं, जो पहले के तरीकों से काफी नए और अच्छे भी साबित हो सकते हैं।

3. घर की स्थिति बेहतर होती हैं 

जब फ़ैसलें आपस में बताकर लिए जाते हैं, तो घर की स्थिति में भी बहुत सुधार आता हैं और आपस में समझने भी मदत मिलती हैं। अक्सर पत्नी को घर की सारी व्यवस्था देखनी होती हैं ऐसे में जब पति को उस खर्च का पता होता हैं तो वह कई बार पहले से मैनेज करते हैं या उन्हें बताकर निर्णय लेते हैं जिससे पत्नी भी जुड़ा हुआ महसूस करती हैं। कई बार खर्च भी संतुलित होते हैं, इसलिए आपस में सांझेदारी अच्छा निर्णय हैं। 

4. क्राइसिस मैनिज्मन्ट 

कई बार घर पर कोई अचानक से दबाब आ जाएं या किसी के आने से पैसों की जरूरत पड़ जाएं ( financial crisis)तो ऐसे में आपस में फ़ैसलें लेने से बेहतर मदत मिलती हैं। आपस में डिस्कस करना बहुत ही सही और अच्छा फैसला हैं। परिवार में किसी के बीमार होने पर पैसों की तुरंत आवश्यकता हैं पत्नी से सलाह या उन्हें बताना आपको राहत और आपको मदत भी करता हैं, क्योंकिं आपस में सलाह एक सही और समय पर चुनौती को बेहतर तरह से निपटने में मदत करती हैं।

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