Relationship Tips: जानिए नेगेटिविटी से रिश्ता कैसे खराब होता है?

नेगेटिविटी रिश्ते में आ जाए तो उसमें घुटन महसूस होने लगती है। आप रिश्ते में रहना जानते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी उसमें रह नहीं पाते। किसी भी रिश्ते को मज़बूत बनाने के लिए प्यार, सपोर्ट, अपनापन और खुशी की ज़रूरत होती है।

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Rajveer Kaur
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Recognizing the Signs of a Toxic Relationship

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नेगेटिविटी रिश्ते में आ जाए तो उसमें घुटन महसूस होने लगती है। आप रिश्ते में रहना जानते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी उसमें रह नहीं पाते। किसी भी रिश्ते को मज़बूत बनाने के लिए प्यार, सपोर्ट, अपनापन और खुशी की ज़रूरत होती है। लेकिन अगर रिश्ते में सिर्फ झगड़े हों, एक-दूसरे पर इल्ज़ाम लगाए जाएँ, अपनी गलती न मानी जाए और हमेशा दूसरे को गलत साबित किया जाए, तो वह रिश्ता कहीं-ना-कहीं कमज़ोर पड़ने लगता है। ऐसे में आपका उसमें रहने का मन भी नहीं करता। चलिए आज जानती है कि रिश्ते में नेगेटिव आने से कैसे असर पड़ सकता है

जानिए नेगेटिविटी से रिश्ता कैसे खराब होता है? 

हर समय कमी ढूँढते रहना

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सफल रिश्ता वह नहीं होता जो बिल्कुल परफेक्ट हो या जिसमें कोई गलती की गुंजाइश न हो। बल्कि वह रिश्ता सफल होता है, जहाँ एक-दूसरे की गलतियों के लिए जगह हो और पार्टनर को स्पेशल महसूस करवाया जाए। अगर उन्हें कुछ नहीं भी पता है तो भी उन्हें मूर्ख महसूस न करवाया जाए। लेकिन अगर आप हर वक्त अपने पार्टनर की कमियाँ ढूंढते रहेंगे, उन्हें बुरा-भला कहते रहेंगे तो यह रिश्ता धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगेगा और आखिरकार आप दोनों के बीच दूरियाँ आ जाएँगी।

एफर्ट्स की कमी

हर रिश्ते में दोनों पार्टनर का प्रयास जरूरी होता है। लेकिन अगर सिर्फ एक ही पार्टनर कोशिश करता रहे और दूसरा उसकी मेहनत को नज़रअंदाज़ करे, तो रिश्ते में असंतुलन पैदा हो जाता है। अगर पार्टनर की कोशिशों को सराहा न जाए, उसकी वैल्यू को समझा न जाए, तो इससे भी रिश्ता कमजोर होने लगता है। धीरे-धीरे नेगेटिविटी इतनी बढ़ जाती है कि पार्टनर को हमेशा बोझ महसूस कराया जाने लगता है और उसके अच्छे काम कभी भी हाइलाइट नहीं होते।

रिश्ते में घुटन

रिश्ते में इंसान अपने पार्टनर में एक "घर" ढूंढता है, जहाँ उसे सुकून महसूस हो। लेकिन जब नेगेटिविटी बढ़ जाती है, तो वही रिश्ता घुटन भरा लगने लगता है। इसके अलावा लगातार शिकायतें और इल्ज़ाम रिश्ते को भावनात्मक तौर पर थका देते हैं। इंसान इतना थक जाता है कि उसके पास न सोचने की ऊर्जा बचती है और न ही अपने लिए कुछ कहने की।

जजमेंट

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जब रिश्ता नेगेटिविटी से भर जाता है, तो उसमें जजमेंट आने लगती है और भरोसा टूटने लगता है। आपको अपने पार्टनर से सपोर्ट महसूस नहीं होता। छोटी-छोटी बातों पर गलतफहमियाँ बढ़ने लगती हैं। ऐसा लगने लगता है कि आपका पार्टनर कभी आपके लिए अच्छा सोच ही नहीं सकता, और उसकी हर अच्छी कोशिश भी आपको नेगेटिव लगने लगती है।

खुलकर बातचीत नहीं होती

रिश्ते में सबसे जरूरी है कि आप एक-दूसरे को सुनें और समझें। लेकिन नेगेटिविटी के कारण यह खूबसूरत चीज़ खत्म हो जाती है। पार्टनर को यह एहसास ही नहीं होता कि आप उसके लिए मौजूद हैं। आपके बीच का कम्फर्ट ज़ोन खत्म हो जाता है और दूरियाँ बढ़ने लगती हैं। बातचीत में भी आप पार्टनर के नज़रिए को समझने के बजाय उसे गलत साबित करने लगते हैं। इसका बोझ दिमाग पर इतना बढ़ जाता है कि रिश्ते का सुख और शांति पूरी तरह से खत्म हो जाती है।