Relationship Tips: क्यों बढ़ रहे हैं शादीशुदा रिश्तों में झगड़े?

आजकल शादीशुदा रिश्तों में झगड़े और तनाव बढ़ते जा रहे हैं, जिधर भी कोई खबर देखो ऐसा लगता है शायद शादी ही समस्या बन चुकी है। आधे से ज्यादा युवा शादी के नाम से ही भागते हैं। आखिर ऐसा क्यों है? आइये जानते हैं शादीशुदा रिश्तों में झगड़े बढ़ने की वजह-

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Priya Singh
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When Your Husband Fights And Then Blame You

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Reasons Of Increasing Fights In Married Relationships: आज के समय में शादीशुदा रिश्तों में झगड़े और तनाव बढ़ते जा रहे हैं। पहले जहाँ शादी को लाइफटाइम की साझेदारी और समझ का प्रतीक माना जाता था, वहीं अब यह अक्सर मतभेदों और संघर्षों का कारण बनता जा रहा है। इसकी कई वजहें हैं, जिनमें बातचीत की कमी, अपेक्षाओं का बढ़ना, आत्मनिर्भरता के कारण अहंकार, संयुक्त परिवारों का टूटना, डिजिटल युग में बाहरी आकर्षण और धैर्य की कमी शामिल हो सकते हैं। आइये विस्तार से समझते हैं कि आखिर आज कल शादीशुदा रिश्तों में क्यों बढ़ रहे हैं झगड़े? 

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Relationship Tips: क्यों बढ़ रहे हैं शादीशुदा रिश्तों में झगड़े?

सबसे बड़ी समस्या बातचीत की कमी से पैदा होती है। रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए पति-पत्नी के बीच खुली बातचीत होना बहुत जरूरी है। लेकिन आजकल काम की व्यस्तता, सोशल मीडिया और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के कारण दोनों के बीच बातचीत कम हो गई है। इससे गलतफहमियां जन्म लेती हैं और छोटी-छोटी बातें बड़े झगड़ों में बदल जाती हैं। जब तक कोई अपनी भावनाएँ खुलकर व्यक्त नहीं करता, तब तक दूसरी ओर से समझदारी की अपेक्षा करना व्यर्थ है। कई बार लोग अपने साथी से अवास्तविक अपेक्षाएँ करने लगते हैं। सोशल मीडिया और फिल्मों के प्रभाव में लोग यह मान लेते हैं कि रिश्ते हमेशा रोमांटिक और परफेक्ट होते हैं, लेकिन असल जिंदगी में हर रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते हैं। जब ये अपेक्षाएँ पूरी नहीं होतीं, तो असंतोष बढ़ता है और झगड़े होने लगते हैं।

इसके साथ ही आधुनिक समाज में पुरुष और महिलाएँ दोनों ही आत्मनिर्भर हो गए हैं, जो अपने आप में एक सकारात्मक बदलाव है। लेकिन यह आत्मनिर्भरता कभी-कभी अहंकार का रूप ले लेती है। जब दोनों ही पार्टनर्स एक-दूसरे के विचारों को कम महत्व देने लगते हैं और अपनी बात को सही साबित करने पर अड़ जाते हैं, तो टकराव होना स्वाभाविक है। पहले संयुक्त परिवारों में बुजुर्गों की उपस्थिति से विवाद जल्दी सुलझ जाया करते थे। लेकिन अब न्यूक्लियर फैमिली सिस्टम के कारण कोई बीच-बचाव करने वाला नहीं होता, जिससे झगड़े लंबा खिंचते हैं और तलाक की नौबत आती है।

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डिजिटल युग ने भी रिश्तों में दरार डालने का काम किया है। सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स ने बाहरी आकर्षण को बढ़ावा दिया है, जिससे लोग अपने मौजूदा रिश्ते से संतुष्ट महसूस नहीं करते। जब लोग ऑनलाइन दुनिया में दूसरों की "परफेक्ट लाइफ" देखते हैं, तो उनकी उम्मीदें और बढ़ जाती हैं। इससे न केवल असुरक्षा की भावना जन्म लेती है, बल्कि कई बार बाहरी संबंधों की शुरुआत भी हो जाती है, जिससे झगड़े और बढ़ जाते हैं।

धैर्य और समझ की कमी भी शादीशुदा रिश्तों में तनाव बढ़ाने का बड़ा कारण बन रही है। पहले लोग रिश्तों को निभाने की कला जानते थे और हर परिस्थिति में अपने साथी के साथ खड़े रहते थे। लेकिन अब लोगों की सहनशीलता कम हो गई है और छोटी-छोटी बातों पर रिश्ते खत्म कर दिए जाते हैं। कोई भी यह सोचने को तैयार नहीं होता कि हर रिश्ता त्याग और समझदारी की नींव पर टिका होता है।

इन समस्याओं का समाधान भी हमारे ही हाथ में है। अगर पति-पत्नी एक-दूसरे से खुलकर बातचीत करें, अवास्तविक अपेक्षाएँ न रखें, अहंकार को अपने रिश्ते से दूर रखें और सोशल मीडिया की चकाचौंध भरी दुनिया से बाहर निकलकर एक-दूसरे के साथ वास्तविक समय बिताएँ, तो रिश्तों में मजबूती आएगी। शादीशुदा लाइफ को सफल बनाने के लिए धैर्य, समझ और आपसी सम्मान जरूरी है। अगर लोग इन मूल बैटन को अपनाएँ, तो रिश्तों को लंबे समय तक खुशहाल रखा जा सकता है।

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