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Relationship Tips: लड़ाई झगड़े से Mental Health पर क्या असर पड़ता है?

रिश्तों में रोजमर्रा के लड़ाई-झगड़े का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये झगड़े न केवल हमारे भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ते हैं, बल्कि शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकते हैं।

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Srishti Jha
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Image Credit: Psych Central

What effect does fighting have on mental health: रिश्तों में रोजमर्रा के लड़ाई-झगड़े का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ये झगड़े न केवल हमारे भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ते हैं, बल्कि शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल सकते हैं। रिलेशनशिप में कम्युनिकेशन और अंडरस्टैंडिंग का विकास करना आवश्यक है ताकि झगड़ों को सुलझाया जा सके और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके। आवश्यकता पड़ने पर, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सहायता लेना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है जिससे स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। 

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लड़ाई झगड़े से Mental Health पर क्या असर पड़ता है?

1. चिंता और तनाव बढ़ाता है

रोज़ाना के झगड़े से व्यक्ति में निरंतर चिंता और तनाव की भावना पैदा होती है। झगड़े के दौरान शरीर में "Fight or Flight" रिएक्शन सक्रिय हो जाती है, जिससे कोर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। यह स्थिति अगर लंबे समय तक बनी रहती है तो यह शारीरिक थकान, उच्च रक्तचाप, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। तनावग्रस्त व्यक्ति सामान्य जीवन में छोटी-छोटी चीजों पर भी तनाव महसूस कर सकता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

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2. आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास पर असर

लगातार  आलोचना और नकारात्मक बातचीत से आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है।  रिश्तों में बार-बार होने वाले झगड़े व्यक्ति के आत्म-विश्वास को कमजोर कर सकते हैं। जब किसी को बार-बार यह महसूस कराया जाता है कि वह गलत है या उसकी बातें महत्वहीन हैं, तो यह उसकी आत्म-छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह आत्म-संदेह और असुरक्षा की भावना को बढ़ा सकता है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी खुद को अयोग्य और निराश महसूस करने लगता है।

3. अवसाद और मानसिक थकान

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लगातार विवादों और असहमति के कारण मानसिक थकान और अवसाद का खतरा बढ़ जाता है। रोज़ाना के तनाव और भावनात्मक संघर्षों से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी दबाव पड़ता है, जिससे अवसाद और  निराशा की भावना विकसित हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति को रोजमर्रा की गतिविधियों में रुचि कम हो सकती है।

4. सोशल डिस्टेंस और अकेलापन

लगातार झगड़ों से व्यक्ति समाजिक रूप से अलग-थलग महसूस कर सकता है। जब रिश्ते में तनाव बढ़ता है, तो व्यक्ति अपने परिवार और दोस्तों से दूरी बनाने लगता है, क्योंकि वह अपनी निजी समस्याओं के बारे में बात करने में असहज महसूस करता है। यह सामाजिक अलगाव व्यक्ति को और भी अधिक अकेला बना सकता है, जिससे उसका समर्थन तंत्र कमजोर हो जाता है। यह स्थिति मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और व्यक्ति को भावनात्मक रूप से और अधिक असुरक्षित बना सकती है।

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5. भावनात्मक अस्थिरता

रोजमर्रा के झगड़े से भावनाओं में अस्थिरता आती है। व्यक्ति चिड़चिड़ा, उदास, या गुस्से में रह सकता है, और उसकी भावनाएं अस्थिर हो जाती हैं। यह भावनात्मक उतार-चढ़ाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है और रिश्ते में और अधिक संघर्ष उत्पन्न कर सकता है। भावनात्मक अस्थिरता का प्रभाव न केवल व्यक्तिगत जीवन पर पड़ता है, बल्कि पेशेवर और सामाजिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है।

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