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सास-बहू के रिश्ते में Friendship की कमी के क्या कारण है?

सास-बहू का रिश्ता पारंपरिक भारतीय समाज में अक्सर तनावपूर्ण माना जाता है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। दोनों के बीच पीढ़ी का अंतर, अलग-अलग जीवन के अनुभव और घर में अपनी-अपनी भूमिकाओं को लेकर मतभेद इस रिश्ते को जटिल बना सकते हैं।

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Trishala Singh
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सास-बहू

(Credits: Pinterest)

Why Is Friendship Between Mother in Laws and Daughter in Laws Difficult: भारतीय समाज में सास-बहू के रिश्ते को हमेशा से ही संघर्षपूर्ण और तनावपूर्ण माना जाता है। इस रिश्ते में कई बार देखा जाता है कि सास और बहू आपस में दोस्त नहीं बन पाते हैं। इस विषय पर विचार करते हुए, हम कुछ प्रमुख कारणों का विश्लेषण करेंगे जिनकी वजह से सास-बहू के रिश्ते में दोस्ती की कमी देखी जाती है।

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सास-बहू के रिश्ते में Friendship की कमी के क्या कारण है?

1. परंपरागत सोच और सामाजिक मान्यताएं (Traditional Thinking and Social Beliefs)

भारतीय समाज में सास-बहू के रिश्ते को हमेशा एक विशेष दृष्टिकोण से देखा जाता है। परंपरागत रूप से सास को परिवार की मुखिया माना जाता है और बहू को उसकी आज्ञा का पालन करने वाला। इस सामाजिक संरचना में, सास-बहू के बीच दोस्ती की संभावना कम हो जाती है क्योंकि बहू को सास की तरह बनने और उसकी इच्छाओं को पूरा करने की अपेक्षा की जाती है।

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2. पीढ़ीगत अंतर (Generation Gap)

सास और बहू के बीच अक्सर पीढ़ीगत अंतर होता है। यह अंतर उनकी सोच, विचारधारा और जीवन शैली में भी दिखता है। सास अपने समय के परंपराओं और आदतों को लेकर चलती है, जबकि बहू एक नए और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ आती है। इस पीढ़ीगत अंतर के कारण दोनों के बीच समझ का अभाव होता है, जो दोस्ती में बाधा डालता है।

3. सत्तात्मक संबंध (Power Relations)

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परिवार की संरचना में सास का स्थान अधिक सत्तात्मक होता है। वह परिवार के निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उसकी बातों को मान्यता दी जाती है। बहू को अक्सर इन निर्णयों का पालन करना पड़ता है, जिससे दोनों के बीच एक सत्तात्मक संबंध बन जाता है। इस सत्तात्मक संबंध में दोस्ती की गुंजाइश कम होती है, क्योंकि दोस्ती समानता पर आधारित होती है।

4. गोपनीयता और निजी सीमाएं (Privacy and Personal Boundaries)

दोस्ती में गोपनीयता और निजी सीमाओं का पालन करना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन सास-बहू के रिश्ते में, बहू की निजी सीमाओं का सम्मान नहीं किया जाता है। सास अक्सर बहू के व्यक्तिगत मामलों में हस्तक्षेप करती है, जिससे बहू को असहजता महसूस होती है। यह हस्तक्षेप दोस्ती की राह में बाधा बनता है।

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5. पारिवारिक दबाव और अपेक्षाएं (Family Pressures and Expectations)

बहू से परिवार की कई अपेक्षाएं होती हैं, जिनमें घर का कामकाज, परिवार की देखभाल और सास-ससुर की सेवा शामिल होती है। इन अपेक्षाओं के चलते बहू को सास के प्रति एक सेविका की भूमिका निभानी पड़ती है। इस स्थिति में दोनों के बीच एक अनौपचारिक और मित्रतापूर्ण संबंध बनाना मुश्किल हो जाता है।

6. भ्रम और गलतफहमी (Confusion and Misunderstanding)

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सास-बहू के रिश्ते में अक्सर भ्रम और गलतफहमी होती है। सास को लगता है कि बहू परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा रही है, जबकि बहू को लगता है कि सास उसके प्रयासों को मान्यता नहीं दे रही है। इन गलतफहमियों के कारण दोनों के बीच तनाव बढ़ता है और दोस्ती की संभावना कम हो जाती है।

सास-बहू का रिश्ता भारतीय समाज में महत्वपूर्ण है और इसे सुधारने के लिए हमें परंपरागत सोच को बदलने की आवश्यकता है। दोनों के बीच दोस्ती और आपसी समझ बढ़ाने के लिए संवाद, सम्मान और समानता का महत्व समझना होगा। इससे न केवल उनका रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि परिवार का माहौल भी सुखद और सहयोगात्मक बनेगा।

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