How Easy Is It For A Woman To Get Divorced In Indian Society?: भारतीय समाज में खास तौर पर जब महिलाओं के द्वारा तलाक की मांग की जाती है तब इसे बहुत बुरा माना जाता है। जब कोई महिला यह कहती है कि उसे तलाक चाहिए तो वह महिला बुरी समझी जाती है। उसका चरित्र इज्जत के लायक नहीं रहता लेकिन अगर वही महिला टॉक्सिक रिश्ते में रहने का फैसला कर ले तो उससे अच्छी कोई महिला नहीं है। समाज औरतों को दुख में देख सकता है लेकिन इसके उल्ट वह अपने हक के लिए या मर्द के खिलाफ खड़ी हो जाए तो उन्हें यह बिल्कुल भी हजम नहीं होता।
भारतीय समाज में महिला का तलाकशुदा होना कितना आसान है?
1. फेमिनिज्म पर दोष
समाज में यह भी माना जाता है कि जब से फेमिनिज्म ने अपने पैर पसारने शुरू किए हैं तब से महिलाओं के तलाक ज्यादा होने लग गए हैं। आम बातचीत में यह बात बहुत के लोगों द्वारा की जाती है। अगर फेमिनिज्म के कारण तलाक़ हो भी रहे हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं है। फेमिनिज्म ने महिलाओं को अपने लिए स्टैंड लेना सिखाया है। फेमिनिज्म कहता है सिर्फ महिलाएं ही नहीं अगर किसी के साथ भी कुछ गलत होता है उसे सहन मत करो। उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए क्योंकि तुम फिजूल नहीं हो। तुम्हारी अपनी एक पहचान है। तुम्हें चोट पहुंचाने का किसी को हक नहीं है। महिला होने का मतलब यह नहीं कि सारी जिंदगी दुख और बलिदान में ही निकले। फेमिनिज्म को दोष देना बंद कीजिए। सवाल उन मर्दों पर उठाना चाहिए जो महिलाओं को तलाक लेने पर मजबूर कर देते हैं।
2. तलाक लेना आसान नहीं
एक महिला के लिए भी तलाक लेना आसान नहीं होता। क्यों कोई महिला चाहेगी कि वह अपने पति और परिवार को छोड़कर ऐसे समाज का सामना करें जो उसे सही होने पर भी स्वीकार नहीं करेगा। महिला के हालात ही ऐसे हो जाते हैं कि उसे यह कदम उठाना पड़ता है। शादी के बाद महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों की लिस्ट बहुत लम्बी है। महिलाओं के साथ मारपीट, टॉर्चर, दहेज की मांग और अगर बेटी पैदा हो, उसके बाद उसके साथ जो अन्याय या जुलम किया जाता है वो देखा नहीं जाता। जिस कारण महिलाओं को यह स्टेप उठाना पड़ता है।
3. बच्चे के साथ तलाक़ लेना मुश्किल
महिला अगर एक माँ है और वह तलाक ले रही है तो सबसे बड़ा चैलेंज यह होता है कि उसके साथ-साथ बच्चा भी मानसिक उत्पीड़न से गुजरता है। उसके लिए इन चीजों का सामना करना आसान नहीं होता क्योंकि परिवार का सपोर्ट नहीं मिलता। लड़की के मां-बाप समाज की शर्म के कारण अपने घर में जगह नहीं देते। महिला की सपोर्ट के लिए कोई खड़ा नहीं होता क्योंकि यह माना जाता है कि जो महिलाएं डाइवोर्स लेती हैं, वे अच्छी नहीं होती और दूसरी महिलाओं को भी घर तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। ऐसी सोच आज भी हमारे समाज में मौजूद है।
4. आर्थिक रूप से आजाद
महिला अगर आर्थिक रूप से आजाद है तो तलाक लेने में इतनी मुश्किल नहीं होती क्योंकि महिला अपना खर्चा खुद उठा सकती है। ऐसा भी होता है कि तलाक़ के बाद कई बार मायका भी साथ नहीं देता इसलिए महिलाएं अगर अपनी टर्म पर जिंदगी व्यतीत करना चाहती हैं तो उन्हें फाइनेंशियल तौर पर भी आजाद होना पड़ेगा। तलाक जैसी चीजों में आर्थिक आजादी का बहुत बड़ा रोल होता है।