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Family: पुबर्टी में बच्चों के साथ पेरेंट्स का बांड क्यों जरुरी है?

बच्चे के दोस्त सबसे पहले, उसके माँ-बाप  होते है और उसके पहले शिक्षक भी माँ बाप होते है। माता पिता का अपने बच्चो से लगाव रहना बहुत लाज़मी सी बात होती है लेकिन धीरे धीरे समय के साथ वो रिश्ता उम्र और फ़र्क़ का भी असर देखता है।

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Ayushi Jha
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Why is the bond between parents and children important during puberty(image source: freepik)

Why Is The Bond Between Parents And Children Important During Puberty: बच्चे के दोस्त सबसे पहले, उसके माँ -बाप होते है और उसके पहले शिक्षक भी माँ बाप होते है। माता पिता का अपने बच्चो से लगाव रहना बहुत लाज़मी सी बात होती है लेकिन धीरे धीरे समय के साथ वो रिश्ता उम्र और फ़र्क़ का भी असर देखता है।

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पुबर्टी में बच्चों के साथ पेरेंट्स का बांड क्यों जरुरी है?

किसी बच्चे को सबसे पहले अच्छा बुरा सीखाने वाले पेरेंट्स ही होते हैं। सही गलत में फ़र्क़ सिखाने वला, उसे संस्कार देना और अच्छी परवरिश देने वाला उसका पालन पोषण करने वाला, उसके माता पिता ही होते है। बच्चे जब बढ़ते हैं और बड़े होने लगते है तो उनके विचार धारा बदलने लगते है। इनकी संगती बदलने लगती है और इनका व्यहवहार भी बहुत बदलता है। पुबर्टी का भी बहुत हाथ होता है इन बदलाव में। आइये पढ़े इस ब्लॉग में की क्यों पुबर्टी में बच्चों के साथ पेरेंट्स का बांड क्यों जरुरी है। 

1. गलत सही का फ़र्क़ समझाना

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बच्चे बढ़ती उम्र में बहुत सारे गलतियां करते है, सामान्य सी बात है लेकिन गलती ज़्यादा बड़ी हो और जिसे संभाला या सुधारा जा सके, ऐसे गलतियों में फ़र्क़ सिखाना भी माँ बाप का फ़र्ज़ होता है लेकिन पुबर्टी से बच्चे और माँ बाप में फ़र्क़ भी हो जाता है। इसलिए बांड अच्छे रखने से आपका अपने बच्चो से रिश्ता ख़राब नहीं होना चाहिए। 

2. उनकी ज़िन्दगी के बारे में पता होना

इस उम्र में बच्चे पहली बार हारते है, जीतते है, गहरी दोस्ती करते है, उनसे झगड़ा भी करते है, किसी को पहली बार पसंद करते है, उनसे ना भी सुनते है, उनका हृदय आहात भी होता है। यह सब अक्सर बच्चे पुबर्टी में अनुभव करते है। यह सब बच्चे की ज़िन्दगी के एहम पल होते है जो बच्चे अगर अपने माँ बाप से बाँट सके तो यह उनके लिए भी बहुत बड़ी बात होती है। इसलिए ऐसे बांड होना बहुत ज़रूरी है जहाँ आपका बच्चा आपसे यह सब शेयर कर सके। 

3. डिप्रेशन, ड्रग्स के शिकार ना बने 

बच्चो को नशे के पदार्थो से सामना पुबर्टी के उम्र में होने लगता है। ऐसे समय में उन्हें सही राह पे चलना सीखना और उनसे बात करते रहने से वो आपसे यह सब बाँट पाएंगे। अगर वह किसी तरह के परेशानी में पर गए होंगे तो वह आपसे सलाह ले पाएंगे और डिप्रेशन जैसे बिमारियों से भी आप उसे निकलने में मदद कर पाएंगे।

मां-बाप बच्चे के दोस्त
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