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रिश्ते में Compromise सिर्फ महिलाएं ही क्यों करें?

जब बात रिलेशनशिप की आती है तब यही उम्मीद की जाती है कि महिलाएं ही सबसे ज्यादा कंप्रोमाइज करें। यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है। आमतौर पर ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह एक जेंडर स्टीरियोटाइप है।

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Rajveer Kaur
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Compromise in a relationship

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Why Only Women Do Compromise In Relationship: जब बात रिलेशनशिप की आती है तब यही उम्मीद की जाती है कि महिलाएं ही सबसे ज्यादा कंप्रोमाइज करें। यह एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है।आमतौर पर ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह एक जेंडर स्टीरियोटाइप है। महिलाओं से कंप्रोमाइज की उम्मीद इसलिए की जाती है क्योंकि उनका जेंडर फीमेल है। यह एक बहुत ही इलॉजिकल बात है। रिलेशनशिप में कंप्रोमाइज दोनों तरफ से होने चाहिए। यह एक म्युचुअल डिसीजन है जिसमें दोनों पार्टनर का शामिल होना जरूरी है। अगर सिर्फ एक पार्टनर ही कंप्रोमाइज कर रहा है तो वह रिलेशनशिप  कभी भी हेल्दी और खुशहाल नहीं हो सकता है।

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रिश्ते में Compromise सिर्फ महिलाएं ही क्यों करें?

रिलेशनशिप में महिलाएं कंप्रोमाइज इसलिए भी करती हैं क्योंकि उनकी परवरिश ही ऐसे की जाती हैं। उन्हें ऐसा कहा जाता है कि तुम्हें अपने ससुराल को छोड़कर हमारे पास नहीं आना है।, तुम्हारे साथ वहां पर जैसा भी व्यव्हार हो लेकिन तुम्हें चुप रहना है और सब कुछ सहन करना है क्योंकि जिन महिलाओं की शादी टूट जाती है उन्हें समाज में अच्छा नहीं माना जाता है। इसके कारण बहुत सारी महिलाएं सदियों से ही प्रताड़ना सहन करती आ रही हैं और हर छोटी से लेकर बड़ी बात का बात पर कंप्रोमाइज करती रहती हैं।

आईए जानते हैं कि महिलाएं कैसे कंप्रोमाइज से छुटकारा पा सकती हैं-

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Bare Minimum को मनाही

रिलेशनशिप में बहुत सारी महिलाएं बेयर मिनिमम के साथ ही जी रहे हैं। उनके लिए अगर एक हस्बैंड महीने में एक बार उनके साथ बैठकर बात कर ले या फिर उन्हें तारीफ कर दे तो उन्हें लगता है कि हमारा पार्टनर तो हमारे बहुत अच्छा है। यह तो हमारे सभी चीजों का ध्यान रखता है लेकिन ऐसा नहीं है रिलेशनशिप में आपको हर पल अपने पार्टनर के लिए एफर्ट करना होता है। उन्हें उनके हर डिसीजन की रिस्पेक्ट करनी चाहिए। उनकी वेलबींइग का ध्यान रखना चाहिए। 

मना करना सीखना

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महिलाएं मना ही नहीं करती हैं इसलिए उन्हें कंप्रोमाइज करना पड़ता है। अगर पार्टनर ने उन्हें कह दिया कि तुम मेरे लिए खाना लगा दो लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो वो अपने पार्टनर को कह सकती हैं कि मैं ठीक नहीं हूं, आप खुद भी खाना खा सकते हैं या बना सकते हैं लेकिन आप बीमारी में भी काम करती हैं। महिलाएँ हर छोटी बात पर कंप्रोमाइज कर लेती हैं  और पार्टनर को कभी भी मना नहीं करती है तो इससे पार्टनर आपको फॉर ग्रांटेड ले लेता है जिससे आप हमेशा ही इस लूप में फंसे रह जाते हैं। इसलिए जरूरत के समय पर मना कहना सीखें।

खुद के लिए समय

खुद के लिए महिलाओं को समय निकालना भी बहुत जरूरी है। आपको कुछ ज़रूरतें हैं, उनके उपर भी ध्यान देना जरूरी हैं लेकिन आप घर के और बच्चों के कामों में ही फंसी रहती हैं। इस कारण आप खुद के उपर ध्यान ही नहीं दे पाती हैं। अगर आप अपनी हेल्थ को भी कंप्रोमाइज कर रहे हैं तो इससे बुरी चीज आपके लिए कुछ नहीं हो सकती है। इसलिए आप खुद के लिए समय निकालें जिसमें आप न ही अपने पार्टनर को समय दें और ना ही किसी और व्यक्ति को।।यह समय सिर्फ आपका होना चाहिए जिसमें आप सिर्फ अपनी वेल्डिंग के ऊपर ध्यान दें।

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अपने लिए स्टैंड लेना

आपको बोलना शुरू करना होगा। अब बहुत सारी महिलाएं तो बोलती ही नहीं है। उनके साथ जितना मर्जी गलत हो जाए लेकिन उन्होंने कभी भी अपने लिए स्टैंड लेना ही नहीं है। अगर आपको छोटी सी बात भी अच्छी नहीं लगती है या फिर वो आपके लिए सही नहीं है तो आपको उसके लिए जरूर बोलना चाहिए। आपको अपनी इच्छाएं और जरूरत का भी ध्यान रखना चाहिए। आप खुद के लिए बोलने से कभी भी मत डरें। अगर आपको बोलने नहीं दिया जा रहा या फिर आपको खुद का ध्यान रखना नहीं रखने दिया जा रहा तो आप गलत जगह पर है। आपको ऐसे टॉक्सिक माहौल को छोड़ने में कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

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