Effect Of Comparing Child: अपने बच्चों को प्रोग्रेस करने मोटिवेट करने के लिए अक्सर पेरेंट्स से दूसरे से कंपेयर करते हैं। यह कंपैरिजन के मन में कंपटीशन बढ़ाने के लिए किया जाता है। ताकि वह दूसरों से आगे बढ़ सके। मगर यह उनके मन में कहीं ना कहीं खुद को लेकर के डाउट पैदा करने लग जाता है। यह डाउट धीरे-धीरे इतना बढ़ जाता है कि उनके लिए कंपैरिजन मेंटल टार्चर बन जाता है। धीरे-धीरे यह चीज उनके लिए मेंटल ट्रॉमा बनने लग जाती है। आईए जानते हैं बच्चों को कंपेयर करना उनके ऊपर क्या प्रभाव डालता है।
क्यों कर रहे अपने बच्चे को कम्पेयर जो दे रहा उन्हें मेंटल ट्रॉमा
सेल्फ डाउट
कंपैरिजन करने से हमेशा खुद के अंदर कमी नजर आने लग जाती है और सेल्फ डाउट शुरू हो जाता है। सेल्फ डाउट एक ऐसी चीज है जो कि सिर्फ लव को धीरे-धीरे काम करने लग जाती है और ऐसा होने पर खुद की कैपेबिलिटी पर सवाल उठ जाता है।
खुद के ऊपर ट्रस्ट ना करना
किसी भी कार्य को करने से पहले खुद के ऊपर डाउट होना खुद के ऊपर इतना भरोसा ना होना कि हम इस कार्य को कर सकते हैं और खुद के ऊपर से ट्रस्ट है जाना। यह किसी भी कार्य को करने से पहले आपके अंदर मोटिवेशन की कमी बना देता है।
सेल्फ लव की कमी
खुद के ऊपर भरोसा न होने और सेल्फ डाउट होने के कारण सेल्फ लव की कमी होनेलग जाती है। सेल्फ लव की कमी यानी कि खुद का ध्यान ना रखना, खुद को मेंटेन ना करना, खुद को समय ना देना। जिससे कि धीरे-धीरे कॉन्फिडेंस में कमी आने लगना।
मोटिवेशन की कमी
किसी भी कार्य को करने से पहले मोटिवेशन की आवश्यकता होती है। यदि यह मोटिवेशन ना हो तो शिकारी को करने की क्षमता कम हो जाती है। कंपैरिजन के कारण अक्सर खुद की मोटिवेशन में कमी देखने को मिलती है।
सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी
सबकी कैपेबिलिटी एक सी नई होती है। ऐसे में कंपैरिजन करना आपके बच्चे के अंदर सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी लाने लग जाता है। जैसे कि धीरे-धीरे बाकी चीज भी शुरू हो जाती है जैसे कि सेल्फ डाउट और सेल्फ ट्रस्ट की कमी।